पूर्णिया: प्रगतिशील लेखक और ' वर्च्यू अकादमी 'के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कथा सम्राट प्रेमचन्द की 139वीं जयन्ती के अवसर पर एक समारोह आयोजित किया गया। विषय था' मुंशी प्रेमचन्द: वर्तमान संदर्भ में '। प्रगतिशील लेखक संघ के प्रान्तीय उपाध्यक्ष देव आनन्द ने कहा " 'बुधिया मरती रोज यहाँ पर,प्रसव वेदना से अब भी/घीसू माधव भी अब-तक, कहांँ भूख से उबरा है/बिकते रहे हर साल होरी के, खेत आंगन द्वार सभी/सूद, महाजन, खुदकुशी और मौत का मातम पसरा है "
प्रो०अमरेन्द्र ठाकुर ने कहा " समाज को बांटने से समाज नहीं चल सकता। प्रलेस की जिला सचिव नूतन आनन्द का कहना था " साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों को पथगामी नहीं पथ-प्रर्दशक बनना होगा, तभी हम प्रेमचन्द के सपनों का भारत बना सकते हैं। प्रो०असगर राजफातमी ने कहा- आज देश के राजनीतिज्ञों के भरोसे इस देश को नहीं छोड़ा जा सकता, हमें आगे आना होगा।" दिनकर दिवाना, शम्भू कुमार और बाबा वैद्यनाथ , गिरजानन्द मिश्र ने कविता पाठ किया। समारोह का संचालन करते हुए डॉ०कमल किशोर चौधरी ने प्रेमचन्द के रचना संसार क़ो रेखांकित किया। समारोह की अध्यक्षता प्रो०देव नारायण पासवान देव एवं श्याम कुमार विश्वास ने संयुक्त रूप से किया।प्रो०देवनारायण पासवान देव ने कहा " आज प्रेमचन्द की कहानियों का पुनर्पाठ करना आवश्यक है ताकि नई पीढ़ी में प्रेमचन्द का आदर्श स्थापित किया जा सके।"
गोपाल चन्द्र मंगलम ने आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में विद्यालय के बच्चे भी काफी संख्या में उपस्थित थे। इस अवसर पर गोपाल चन्द्र मंगलम की पुस्तक का लोकार्पण हुआ।