नई दिल्लीः आकाशवाणी दिल्ली के इंद्रप्रस्थ चैनेल ने पिछले दिनों 'रंगमंच के नए क्षितिज' विषय पर परिचर्चा आयोजित कराई. इसका उद्देश्य भारतीय रंगमंच की वर्तमान दिशा और उसपर पड़ने वाले प्रभावों को उजागर करना था. इस परिचर्चा के समन्वयक संगीत नाटक अकादमी के उपसचिव और रंगकर्मी सुमन कुमार थे. जिन लोगों ने परिचर्चा में शिरकत की उनमें प्रख्यात रंग आलोचक रवींद्र त्रिपाठी, रंग समीक्षिका मंजरी श्रीवास्तव और कला-संस्कृति के ख्यात आलोचक डॉ ज्योतिष जोशी शामिल थे. चूंकि रेडियो कार्यक्रमों में समयसीमा के अंदर ही अपनी बात कही जाती है, इसलिए इसमें शामिल वक्ताओं ने संक्षेप में नाटक- रंगमंच पर आज के बदलावों पर बातचीत की.
सभी वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जाहिर की समकालीन दौर में भारतीय रंगमंच को कई मसले प्रभावित कर कर रहे हैं. अगर इसे सही दिशा मिल जाए तो यह भारतीय रंगमंच को समृद्ध करने का एक अवसर भी है. वक्ताओं ने इस मौके के साथ आई चुनौतियों का भी जिक्र किया और उन बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की. परिचर्चा में लोक से जुड़ाव के साथ नए परिवर्तनों को भी रंगमंच में लाने और नए दर्शक वर्ग को ध्यान में रखने की बात हुई. डॉ ज्योतिष जोशी ने लोक से हिंदी मंच को जोड़ने के आग्रह के साथ इस बात पर बल दिया कि नाटक को अपनी जातीयता, स्थानीयता और संस्कृति का विशेष ध्यान रखना चाहिए. हिंदी में नाटक लिखे जाएं और निर्देशक उन्हें गम्भीरता से लेकर उनको प्रस्तुत करें. हिंदी ही नहीं समूचे भारतीय साहित्य में नाट्य लेखन की एक लंबी परंपरा रही है, और आज के लेखकों को उसे बरकरार रखना चाहिए..