नई दिल्लीः स्थानीय जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय में आयोजित साहित्योत्सव के दौरान हिंदी के सुपरिचित कवि, आलोचक एवं भाषाविद् डॉ ओम निश्चल को जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा द्वारा 'शान-ए-हिंदी' खिताब से नवाज़ा गया. उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में 15 दिसंबर, 1958 को जन्मे ओम निश्चल साहित्यिक पत्रिका 'उत्तर प्रदेश', केंद्रीय हिंदी निदेशालय के तत्सम शब्दकोश एवं इलाहाबाद बैंक की 'इला त्रिवेणी' के संपादन से संबद्ध रहे. 'शब्द सक्रिय हैं' उनके गीतों-कविताओं का संग्रह है. आलोचना की पहली पुस्तक 'द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी: सृजन एवं मूल्यांकन' रही. साठोत्तरी कविता में विचार-तत्व विषयक शोधग्रंथ के साथ 'कविता का स्थापत्य, कविता की अष्टाध्यायी', 'भाषा में बह आई फूलमालाऍं : युवा कविता के कुछ रूपाकार' शामिल हैं.
ओम निश्चल ने कई कृतियों का संपादन किया, जिनमें द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी रचनावली, अधुनांतिक बॉंग्ला कविता, विश्वनाथप्रसाद तिवारी: साहित्य का स्वाधीन विवेक, अज्ञेय आलोचना संचयन व जियो उस प्यार में जो मैंने तुम्हें दिया है: अज्ञेय की प्रेम कविताएं, आश्चर्य की तरह खुला है संसार: अशोक वाजपेयी की प्रेम कविताएं, माझी न बजाओ वंशी: केदारनाथ अग्रवाल की प्रेम कविताएं, मलय एवं लीलाधर मंडलोई की प्रतिनिधि कविताओं का चयन 'हत्यारे उतर चुके हैं क्षीरसागर में ' तथा अन्वय एवं अन्विति: साहित्य के परिसर में कुंवर नारायण प्रमुख हैं. इसके अतिरिक्त बड़े लेखकों पर संस्मरणात्मक पुस्तकें; खुली हथेली और तुलसीगंध, समकालीन हिंदी कविता: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, कविता के वरिष्ठ नागरिक, 'कुंवर नारायण: कविता की सगुण इकाई', आलोचनात्मक कृतियों के साथ निबंधों की पुस्तक भाषा की खादी उनकी नवीनतम कृतियां हैं. उन्होंने कुंवर नारायण एवं कैलाश वाजपेयी पर साहित्य अकादमी के लिए विनिबंध भी लिखे हैं.