वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय की छात्राओं को लेखक प्राचार्य मिलने का फायदा यह हो रहा है कि विद्यालय में पुस्तक और साहित्य से जुड़ी गतिविधियां निर्वाध रूप से चल रही हैं. पिछले दिनों राजकमल और राधाकृष्ण प्रकाशन ने त्रिदिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी सह बिक्री के दौरान द्विदिवसीय 'लेखक से मिलिए कार्यक्रम' आयोजित किया. इस कार्यक्रम के तहत साहित्य अकादमी से पुरस्कृत लेखिका चित्रा मुद्गल ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज शिक्षण संस्थाओं में छात्राओं की उपस्थिति यह दर्शाती है कि पितृसत्ता की मान्यताएं कमजोर हुईं हैं. हिंदी की कालजयी लेखिका महादेवी वर्मा के संघर्ष को याद करते हुए उन्होंने वर्तमान संदर्भों में उसकी प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया. कार्यक्रम में आगंतुकों और मुख्य वक्ता चित्रा मुद्गल का स्वागत करते हुए प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी ने साहित्य और समाज की अंतर्संबंधों को रेखांकित किया. 

इस अवसर पर महिला महाविद्यालय की प्राचार्या और लेखिका प्रोफेसर चंद्रकला त्रिपाठी ने विस्तार से स्त्री जीवन के विविध पहलुओं को रेखांकित किया. महिलाओं की शिक्षा पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए शिक्षा उतनी ही जरूरी है जितना जीने के लिए ऑक्सीजन. अपनी साहित्यिक अभिरुचि को लेकर उन्होंने स्पष्ट रूप से यह स्वीकारा कि मेरे लिए साहित्य ही मेरा ऑक्सीजन है. प्रोफेसर गीता राय ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए ज्ञान के अन्य अनुशासनों के साथ साहित्य के संबंध को रेखांकित किया. कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी की आचार्या प्रोफेसर सुमन जैन ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वंशीधर उपाध्याय ने किया. इस प्रदर्शनी के दौरान विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं का पुस्तक प्रेम देखते ही बना.