शिमलाः एसआर हरनोट यों ही हिमाचल प्रदेश के बड़े लेखक नहीं हैं. वह अच्छा तो लिखते ही हैं, युवाओं को प्रोत्साहित करने का कोई मौका भी नहीं छोड़ते. हाल ही में युवा लेखिका उमा ठाकुर जब अपनी सद्यः प्रकाशित पुस्तक 'महसुवी लोक संस्कृति' उन्हें भेंट करने आईं तो हरनोट ने उनसे तो उनके लेखन की तारीफ की ही, सोशल मीडिया पर एक जानकारी परक टिप्पणी भी लिख दी. उन्होंने लिखा, जैसा कि हम जानते हैं जिला शिमला महासु का परिवर्तित स्वरूप है, जिसका गठन तीस छोटी बड़ी रियासतों और ठकुराइयों से हुआ है. उमा का बचपन कोटगढ़ के कोफनी मैलन गांव में बीता है, इसलिए उन्हें इस क्षेत्र के रीति रिवाज, परंपराएं, इतिहास और लोक संस्कृति का अच्छा खासा अनुभव भी है और उसी अनुभव का परिणाम उनकी महासुवी बोली में लिखित यह पुस्तक भी है. पुस्तक इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि इसे माहसुवी बोली में रचा गया है जबकि आज के आधुनिकीकरण और बाज़ार ने हमारी बोलियों को लील लिया है, जिनको बचाया जाना अति आवश्यक है. इस दिशा में उमा का प्रयास सराहनीय है.
याद रहे कि उमा ठाकुर 'महसुवी लोक संस्कृति' पुस्तक के विषय पर पिछले चार साल से कार्य कर रही थीं. इसी कड़ी में वर्ष 2016 में आकाशवाणी शिमला से भी 'महारा महासु' शीर्षक से उनका नाटक तेरह किस्तों में प्रसारित हो चुका है. उमा ठाकुर आकाशवाणी शिमला की कैजुअल अनाउंसर भी हैं, तो रेडियो के लिए उनका लगाव स्वाभाविक है. इस पुस्तक में  इतिहास, संस्कृति और लोक जीवन को समर्पित चौदह अध्याय हैं, जिनसे आप महासुवी के प्राचीन और वर्तमान स्वरूप को समझ सकते हैं. अर्थ विजन पब्लिकेशन गुरुग्राम से प्रकाशित इस पुस्तक का लोकार्पण विश्व पुस्तक मेले के दौरान हिमाचल कला भाषा अकादमी के कार्यक्रम में हुआ था.