भोपालः रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की पहल पर मध्यप्रदेश की राजधानी में साहित्य, संस्कृति और कला के विभिन्न रंगों को लिए सात दिवसीय मेला 'विश्व रंग' संपन्न हुआ. इस उत्सव का शुभारम्भ मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने किया. रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के चांसलर और टैगोर इंटरनेशनल लिटरेचर एंड आर्ट्स फेस्टिवल के निदेशक संतोष कुमार चौबे का कहना था कि विश्व रंग 2019 का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना है. इसका उद्देश्य अभिव्यक्ति, चर्चा और प्रवचन के विभिन्न माध्यमों से भारतीय पारंपरिक कला और संस्कृति को संरक्षित करना भी है. इसीलिए नृत्य, संगीत के साथ मुशायरा का भी आयोजन हुआ.प्रसिद्ध लेखक प्रो डॉ इंद्रनाथ चौधरी ने टैगोर, फैज और इकबाल की रचनाओं , संबंधों और चरित्र पर व्याख्यान दिया. लेखिका मृदुला गर्ग ने टैगोर, फैज और इकबाल के अन्तर्सम्बन्धों का विश्लेषण किया. लेखक धनंजय वर्मा, अभिनेता आशुतोष राणा ने भी अपनी बात कही. गांधी और टैगोर की विरासत और लोकतंत्र पर लेखक डॉ नंदकिशोर, डॉ सुधीर चन्द्रा और अन्य विद्वानों ने भी अपने विचार रखे.
रूस में हिंदी के लिए काम करने वाली तान्या ने 21 वीं सदी में विश्व साहित्य पर अपनी बात रखी. अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में हिंदी के पूर्व प्रोफेसर डॉ सुषम बेदी, दक्षिण अफ्रीका की अभिनेत्री और कवियित्री लेबोमषेल, म्यांमार के कवि और अनुवादक कोकोथेत, फिलीपीन्स के कवि, लेखक और स्वतंत्र पत्रकार मारापी एल लानोट, श्रीलंका के तमिलभाषी कवि चेरण रूद्रमूथी, तिब्बती लेखक और एक्टिविस्ट तेनजिंग, रूस के कवि ईगरसीद, डॉ लिउडमिला खोखलोवा, डॉ इंदिरागाजीएवा, जर्मनी के डॉ हाईसवेसलर, डॉ तत्याना ओरान्स्कया, इजरायल के डॉ गेनादी श्लोम्पेर, कजाकिस्तान के डॉ दरीगाकोकोएवा, तुर्की के डॉ एसराकोक्देमिर, अर्मेनिया के डॉ ऋपसि मेनेर्सिस्यान, यूक्रेन के डॉ यूरीबोत्वींकिन, फिजी के डॉ सुब्रमनी और उज्बेकिस्तान के डॉ सिराजुद्दीन नुर्मातोव ने हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में कवि और गीतकार इरशाद कामिल ने गालिब, फैज, नफीज की गजलों को सुनाया. विश्व रंग उत्सव में थर्ड जेंडर कवियों का भी रचना पाठ और व्याख्यान हुआ. उत्सव में बाल साहित्य, मीडिया की हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के प्रचार में भूमिका पर भी बात हुई.