खंडवाः स्थानीय शासकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज के सभागार में मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन की खंडवा इकाई ने पंकज सुबीर की पुस्तक 'जिन्हें जुर्म-ए-इश्क़ पे नाज़ था' तथा शहरयार अमजद ख़ान की पुस्तक 'कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न, कारण और निवारण' पर चर्चा का आयोजन किया. रघुवीर शर्मा, शैलेन्द्र शरण ने 'कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न, कारण और निवारण' और डॉ. प्रताप राव कदम, अशोक गीते तथा डॉ. रश्मि दुधे ने 'जिन्हें जुर्म-ए-इश्क़ पे नाज़ था' अपने वक्तव्य दिए. इस पुस्तक चर्चा के दौरान इन पुस्तकों के लेखक भी मौजूद थे. पंकज सुबीर की प्रतिक्रिया थी कि इस चर्चा को सुनकर लगा कि अलग-अलग पाठक किसी कृति को किस प्रकार अलग-अलग तरीक़े से देखते हैं. वास्तव में पुस्तक चर्चाओं से कई सारी नई बातें लेखक को पता चलती हैं. इस अर्थ में मेरे लिए अपने उपन्यास पर तीन गंभीर वक्ताओं को सुनना एक अलग अनुभव था. शहरयार ने पहली बार अपनी किताब पर किसी कार्यक्रम में चर्चा की. पीछे रह कर प्रकाशन की सारी ज़िम्मेदारी संभालने वाले को पहली बार मंच पर आने का अवसर मिला. शहरयार ने बहुत अच्छे से अपनी बात रखी.
गोविंद शर्मा ने कुशलता से पूरी पुस्तक चर्चा का संचालन किया. साक्षी इनर सर्किल ने लेखिका अमृता प्रीतम का एक सुंदर पोट्रेट भेंट किया. इस कार्यक्रम के दौरान कई संवेदनशील क्षण भी दिखे. खंडवा दर्शना जैन, जो चलने फिरने पूरी तरह से असमर्थ हैं, वह व्हील चेयर पर अपने माता-पिता की सहायता से कार्यक्रम में पहुंची. दर्शना स्वयं भी कहानियाँ लिखती हैं. वह खंडवा में होने वाले हर साहित्यिक कार्यक्रम में जाती हैं और उनके माता-पिता स्वयं उन्हें हर कार्यक्रम में ले कर जाते हैं. रघुवीर शर्मा, शैलेन्द्र शरण और उनके साथियों द्वारा कार्यक्रम का संयोजन किया गया. साहित्य में समयबद्ध कार्यक्रमों का दौर लौट आया है, यह कार्यक्रम भी समय पर प्रारंभ होकर अपने निर्द्धारित समय पर समाप्त हुआ. याद रहे कि मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन राज्य में ऐसी साहित्यिक, लेखकीय गतिविधियां व्यापक स्तर पर कर रहा है.