लखनऊ: पत्रकार-लेखक नवीन जोशी के उपन्यास ‘दावानल’ को उत्तराखंड के जनकवि गिरीश चन्द्र तिवारी ‘गिर्दा’ की स्मृति में दिये जाने वाले ‘गिर्दा स्मृति सम्मान’ नवाजा गया. सम्मान समारोह में आज के समय सहित्य और पाठक वर्ग पर चर्चा करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डाक्टर रमेश चन्द्र शाह ने कहा कि आज का पाठक वर्ग बदल चुका है. आज वह पाठक वर्ग नहीं है जो 50 साल पहले होता था. तब साहित्य अपनी उत्कृष्ठता के बल पाठक का ध्यान अपनी ओर खींचता था. अब उत्कृष्ठता के साथ ही साथ दूसरे विषय भी जरूरी है. प्रचार प्रसार का तरीका बदल गया है. भाषा और शिक्षा दोनो के लिये ही साहित्य जरूरी होता है. साहित्यकार दिलो दिमाग और उम्र से भले ही बूढा हो जाये पर अांखों से वह हमेशा बच्चा ही रहता है.जो अपने बचपन को बढापे तक जीता है वहीं अच्छा साहित्यकार बनता है.
डाक्टर रमेश चन्द्र शाह ने कहा कि कविता पाठ करना भी एक कला है.कई ऐसे कवि है जिनका लेखन बहुत अच्छा है. पर उनको काव्य पाठ की कला नहीं आती. हमें किताबों को बचाना है साहित्य को बचाना है तो नई पीढी में पढने की ललक बनाये रखनी है. वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी की उपन्यास ‘दावानल‘ में उत्तराखंड के चिपको आंदोलन और उत्तराखंड के प्रवासियों का दर्द झलकता है. अपने उपन्यास पर चर्चा करते नवीन जोशी ने कहा कि इसमें चिपको आंन्दोलन और प्रवासी लोगों की पीडा को मिलाकर लिखने का काम किया है.उत्तराखंड के दोनो दर्द को हमने करीब से देखा आर समझा है.
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डाक्टर रमेश चन्द्र शाह, शेखर जोशी, निसर्ग सृजन संस्थान के संरक्षक डाक्टर गोबिंद पंत ‘राजू’, वरिष्ठ रंगकर्मी ललित सिंह पोखरिया, शरद जोशी और उर्मिल थपलियाल सहित तमाम सहित्यकार मौजूद थे.