नई दिल्लीः वाणी प्रकाशन और टीमवर्क आर्ट्स की ओर से दिया जाने वाला वाणी फ़ॉउण्डेशन डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड इस साल प्रख्यात कवि, कथाकार, अनुवादक और चित्रकार तेजी ग्रोवर को दिया जाएगा. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में ग्रोवर को यह पुरस्कार जयपुर बुक मार्क के दौरान 23 जनवरी 2019 को दिया जाएगा. पंजाब में जन्मी तेजी ग्रोवर के पांच कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक उपन्यास, एक निबंध संग्रह और आधुनिक नोर्वीजी, स्वीडी, फ्रांसीसी साहित्य से तेरह पुस्तकाकार अनुवाद प्रकाशित हैं. उनकी प्रमुख कृतियां हैं – नीला (उपन्यास), अन्त की कुछ और कविताएं, लो कहा सांबरी, दर्पण अभी काँच ही था (कविता संग्रह), घास ढँकी पगडण्डियाँ, बर्फ़ की ख़ुशबू (स्वीडी कविताएं), दस समकालीन नोर्वीजी कहानियां तथा नीलाघर और दूसरी यात्राएँ. उन्होंने कविता और चित्रकला के अन्त: सम्बन्ध पर भी कार्य किया है. चित्रों की सात एकल और तीन समूह प्रदर्शनियां देश-विदेश में लग चुकी हैं. उन्हें भारत भूषण कविता पुरस्कार, रज़ा अवार्ड और वरिष्ठ कलाकारों हेतु राष्ट्रीय सांस्कृतिक फ़ेलोशिप भी मिल चुकी है. उनकी कविताएं देश-विदेश की तेरह भाषाओं में और 'नीला' उपन्यास और कुछ कहानियां पोलिश और अंग्रेजी में भी अनूदित हो चुकी हैं.
यह पुरस्कार भारत के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने कम से कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई संबंध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया हो. इस पुरस्कार के तहत 1 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि के साथ वाणी प्रकाशन सम्मान चित्र भी दिया जाता है. पुरस्कार के निर्णायक मंडल में नमिता गोखले, नीता गुप्ता और संदीप भुटोरिया के अलावा अरुण माहेश्वरी भी शामिल हैं. याद रहे कि वर्ष 2016 का प्रथम ‘डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड’ मलयालम कवि अत्तूर रवि वर्मा को प्रदान किया गया था. वर्ष 2017 में यह पुरस्कार प्रख्यात अनुवादक, कवयित्री, लेखिका और आलोचक डॉ. अनामिका को दिया गया. वर्ष 2018 में सांस्कृतिक इतिहासज्ञ और अनुवादक डॉ. रीता कोठारी को इस पुरस्कार से नवाज़ा गया था.