जेएफएफ के आखिरी दिन आकर्षण का केंद्र रहे धड़क फेम ईशान खट्टर। फिल्म समीक्षक राजीव मसंद संग ईशान की बातचीत सुनने के लिए दर्शकों की भीड़ उमड़ी थी। दर्शकों के कहने पर ईशान ने धड़क फिल्म के गाने पर डांस भी किया। ईशान ने अपने फिल्मी करियर और निजी जिंदगी के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि आप जो भी करते हैं, फिर चाहे वो पढ़ाई ही क्यों ना हो तन्मयता से करें। लगन से काम करना जरुरी है। हां, काम वही करिए जो आप करना चाहते हैं। मैंने तो फ्रेंच, स्पैनिश मूवी भी खूब देखी, जबकि मेरे अभिभावक नहीं देखते। दरअसल, मेरी फिल्मी यात्रा खुद को पाने की कहानी है।
माजिद सर ने निखारा
अपने फिल्मी सफर के बारे में ईशान ने बताया कि मैं ईरानी फिल्ममेकर माजिद मजीदी सर का बहुत बड़ा फैन हूं। ऑडिशन के बाद बियांड द क्लॉउड में मेरा चयन हुआ था। उन्होंने मुझे सिखाया कि किस तरह किरदार पर फोकस किया जाए। किरदार को निभाते समय किन चीजों का ध्यान रखना जरुरी होता है। माजिद सर की एक बात मुझे पसंद थी। वो कहानी, स्क्रीन प्ले से लेकर एक्टिंग पर बोलते थे लेकिन कभी एक्टर पर दबाव नहीं बनाते थे। उनका एक्टर पर पूरा विश्वास होता था।
फिल्म रिलीज से पहले दबाव था
फिल्म धड़क की रिलीज से पहले दबाव होना लाजमी था। दिमाग में कहीं यह था कि लोग फिल्म देखने के बाद फिल्म इंडस्ट्री में मेरे भविष्य को लेकर अटकलें लगाएंगे। कैमरा रिस्पांस देखा जाएगा। बहुत कुछ कहा जाएगा, लेकिन मुझे अपने आप पर विश्वास था। मैंने कभी यह नहीं समझा कि बहुत बड़ा ब्रेक मिला है। मैंने हमेशा यही माना कि यह मेरा एक अच्छी शुरुआत होगी। मैंने ईमानदारी से अभिनय। मैंने किरदार को पर्दे पर जीवंत करने की पूरी कोशिश की।
दोनों फिल्में अलग-अलग
ईशान ने कहा कि लंदन, अमेरिका, दुबई में धड़क की स्क्रीनिंग के दौरान बहुत से लोग मिले जिन्होंने बियांड द क्लाउड देखी थी। लोगों की धड़क से अलग तरह की अपेक्षाएं थी। लेकिन मुझे लगता है कि दोनों फिलमें बहुत अलग थी। मैंने धड़क में किरदार निभाने के लिए उदयपुर जाकर मेवाड़ी भाषा बोलना सीखा। वहां काफी दिनों तक रहा और वहां के लोगों की जीवनशैली, रहन–सहन और बोलचाल को आर्ब्जव किया।
जागरण फिल्म फेस्टिवल में भी देखी फिल्में
फिल्मों के प्रति अपनी दीवानगी के बारे में ईशान ने कहा कि मेरे घर का माहौल ही फिल्मी था। 14 साल की उम्र से ही क्लासिकल फिल्में देख रहा हूं। क्योंकि मेरी मां को ये फिल्में पसंद थी। हमने डीवीडी की अच्छी खासी एक लाइब्रेरी बना ली थी। हफ्ते में कम से कम एक दर्जन भर फिल्में देखता। यही नहीं जागरण फिल्म फेस्टिवल समेत कई अन्य फिल्म फेस्टिवल में जाकर भी क्लासिकल फिल्में देखीं हैं। कई फिल्म फेस्टिवल में मुझे गोल्ड पास भी मिल जाता था लेकिन मुझे बीच की पंक्ति में बैठना पसंद आता था।
देने वाला छप्पर फाड़ कर देता हैं
ईशान ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि आप मेहनत कर रहे हैं लेकिन परिणाम कुछ नहीं मिलता। लोग आपके काम को पसंद नहीं करते हैं। लेकिन तभी ऐसा भी हो सकता है कि आपको ईश्वर छप्पर फाड़ कर दे देता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप घर पर बैठकर मौके का इंतजार करते हैं या फिर बाहर निकलकर मौकों की तलाश करते हैं। मैं बाहर निकलकर मौकों की तलाश करने वालों में हूं। खुशनसीब हूं कि मुझे मौके मिले।