नई दिल्ली: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक ‘‘कोविड-19:सभ्यता का संकट और समाधान’’ का लोकार्पण भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने किया। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश विशिष्ट अतिथि थे । प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक का लोकार्पण ऑनलाइन माध्यम से संपन्न हुआ। पुस्तक लोकार्पण समारोह का संचालन प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन पीयूष कुमार ने किया।
‘‘कोविड-19: सभ्यता का संकट और समाधान’’ पुस्तक में कोरोना महामारी के बहाने मानव सभ्यता की बारीक पड़ताल करते हुए यह बताने की कोशिश की गई है कि मौजूदा संकट महज स्वास्थ्य का संकट नहीं है, बल्कि यह सभ्यता का संकट है। पुस्तक की खूबी यह है कि यह संकट गिनाने की बजाय उसका समाधान भी प्रस्तुत करते चलती है। ये समाधान भारतीय सभ्यता और संस्कृति से उपजे करुणा, कृतज्ञता, उत्तरदायित्व और सहिष्णुता के सार्वभौमिक मूल्यों पर आधारित हैं।
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने इस पुस्तक को महत्वपूर्ण और अत्यंत सामयिक बताते हुए कहा कि पुस्तक सरल और सहज भाषा में एक बहुत ही गहन विषय को छूती है। इस अवसर पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कैलाश सत्यार्थी के कवि रूप की प्रशंसा की।
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी पुस्तक की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि कोविड संकट के दौर में इस पुस्तक का लिखा जाना अहम है। इस पुस्तक के माध्यम से बहुत ही बुनियादी लेकिन महत्वपूर्ण सवालों को उठाया गया और उनका समाधान भी प्रस्तुत किया गया है।
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने इस अवसर पर लोगों का ध्यान कोरोना संकट से प्रभावित बच्चों की तरफ आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि महामारी शुरू होते ही मैंने लिखा था कि यह सामाजिक न्याय का संकट है। सभ्यता का संकट है। नैतिकता का संकट है। यह हमारे साझे भविष्य का संकट है और जिसके परिणाम दूरगामी होंगे।