शिमलाः हिंदी साहित्य में यह सोच और परंपरा रही है कि लेखक जब इस दुनिया में न रहे फिर उस पर साहित्य पत्रिकाएं या तो विशेषांक निकालने लगती है या उनमें एक दो आलेख बतौर श्रद्धांजलि या स्मरण संस्मरणों के दे देती हैं. सुखद है जब कोई पत्रिका रचनारत लेखक के जीवनकाल में ही उसके साहित्यिक अवदान पर विशेषांक निकालती है. हाल ही में हिमाचल के वरिष्ठ साहित्यकार एस आर हरनोट के अबतक के साहित्यिक व सांस्कृतिक योगदान पर साहित्यिक पत्रिका 'कविकुंभ' ने  विशेषांक प्रकाशित किया, जिसका शिमला में लोकार्पण हुआ और परिचर्चा भी आयोजित हुई. इस अवसर पर वक्ताओं ने हरनोट के लेखन से लेकर स्थानीय कला, संस्कृति, भाषा और अंततः मानवता को बचाने की दिशा में उनकी सतत सक्रियता की चर्चा की.  
देहरादून से डॉ रंजिता सिंह तथा जय प्रकाश त्रिपाठी के संपादन में प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'कविकुंभ' के हरनोट पर केंद्रित अंक का लोकार्पण हिमाचल अकादमी और देश भर में पुस्तक मेलों के आयोजक ओकार्ड इंडिया द्वारा आयोजित साहित्य उत्सव व पुस्तक मेले में किया गया. इस आयोजन की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश भाषा विभाग के निदेशक डॉ पंकज ललित ने की और रंजिता सिंह ने विस्तार से इस विशेषांक के बारे में बताया. जानी मानी लेखिका और अनुवादक प्रो मीनाक्षी एफ पॉल, सेतु पत्रिका के संपादक डॉ देवेंद्र गुप्ता, डॉ विद्या निधि छाबड़ा और ख्यात कवि आलोचक आत्मा रंजन द्वारा हरनोट के रचनाकर्म और साहित्य तथा मीडिया की भूमिका पर अपने अपने वक्तव्य दिए. इस विशेषांक में हरनोट पर केंद्रित शब्द शिखर खंड के अंतर्गत चालीस पृष्ठों की महत्त्वपूर्ण सामग्री में प्रो सूरज पालीवाल, डॉ विनोद शाही, डॉ उमा शंकर सिंह परमार, डॉ चेताली सिन्हा के महत्त्वपूर्ण आलेख प्रकाशित हैं. इनके अलावा हरनोट के साक्षात्कार, सामयिक विषयों पर लिखे उनके कई आलेखों के साथ उनकी लिखी कुछ कविताएं भी प्रकाशित की गई हैं.