नई दिल्‍लीः साहित्‍य अकादेमी ने अंतरराष्‍ट्रीय अनुवाद दिवस के अवसर पर 'साहित्‍य मंच' के तहत 'भारत की अनुवाद परंपरा' विषय पर कार्यक्रम कराया, जिस की अध्‍यक्षता प्रख्‍यात अनुवादक एवं जामिया मिल्लिया इस्‍लामिया में अंग्रेजी के प्रोफेसर डॉ. एम. असदुद्दीन ने की. प्रख्‍यात सिंधी लेखक एवं अनुवादक मोहन गेहानी, इग्‍नू के अनुवाद विभाग के निदेशक डॉ. जगदीश शर्मा ने अपने आलेख प्रस्‍तुत किए. साहित्‍य अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने सभी प्रतिभागियों का स्‍वागत करते हुए साहित्‍य अकादेमी द्वारा अनुवाद के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी. उन्‍होंने कहा कि अकादेमी अपनी स्‍थापना के समय से ही विभिन्‍न भारतीय भाषाओं में परस्‍पर अनुवाद को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है. उन्‍होंने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि वर्तमान में मूल भाषाओं से दूसरी भाषाओं में अनुवाद करने वालों की संख्‍या निरंतर कम होती जा रही है. सिंधी के प्रख्‍यात लेखक और अनुवादक मोहन गेहानी ने अनुवाद के समय आने वाली परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा कि अनुवाद करते समय कहीं न कहीं मूल भावना का क्षरण होता है. यह अनुवादक की समझ पर निर्भर है कि यह क्षति कितनी होगी. उन्‍होंने इस क्षतिपूर्ति के भरण के लिए मूल भाषा के साथ ही अनूदित भाषा के उत्‍कृष्‍ट ज्ञान होने की आवश्‍यकता पर बल दिया. 

डॉ. जगदीश शर्मा ने प्राचीन काल से लेकर आज तक के समय की अनुवाद की भारतीय परंपरा को विस्‍तार से प्रस्‍तुत करते हुए बताया कि भारत जैसे देश में हमेशा से अनुवाद की परंपरा रही है और सामान्‍य भारतीय एक से अधिक भाषाओं को जानते और समझते हैं. उन्‍होंने शब्‍दानुवाद, भावानुवाद, अनुकरण, भाष्‍य, टीका आदि की विभिन्‍न परंपराओं के साथ श्रुति एवं स्‍मृति की परंपरा का भी उल्‍लेख किया. उनका कहना था कि भारतीय परंपरा में हम शब्‍दों की चेतना का अनुवाद करते हैं. अंग्रेजी काल में अवश्‍य ही भारतीय अनुवाद को कमतर आंकने का एक दृष्टिकोण पैदा हुआ, जिसने भारतीय अनुवाद परंपरा को बहुत नुकसान पहुंचाया.अध्‍यक्षीय भाषण में एम. असदुद्दीन ने कहा कि अनुवाद मानव सभ्‍यता के विकास से जुड़ा हुआ है और आज भी बिना अनुवाद के समाज का विकास संभव नहीं है. उन्‍होंने कहा कि वर्तमान में ज्‍यादातर अनुवाद अंग्रेजी भाषा में किए जा रहे हैं जो एक चिंताजनक बात है. उन्‍होंने अंग्रेजी की बजाय अन्‍य भाषाओं में अनुवाद किए जाने की प्राथमिकता पर जोर देते हुए कहा कि मूल भाषाओं से दूसरी भाषाओं में किए गए अनुवाद ही भारतीय अनुवाद परंपरा को मजबूत बनाएंगे. कार्यक्रम का संचालन अनुपम तिवारी ने किया.