कोयंबटूर। देश के प्रमुख सांस्कृतिक संगठन ' भारतीय सांस्कृतिक सहयोग व मैत्री संघ' का बाइसवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन दक्षिण भारत के प्रमुख शहर कोयंबटूर में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में देश भर के अलग अलग हिस्सों के लगभग 600 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का उदघाटन करते हुए मद्रास हाईकोर्ट की जज विमला ने सम्बोधित करते हुए कहा " महात्मा, गांधी, विवेकानंद आदि जैसे नेताओं ने पूरी दुनिया को सदभाव का पाठ पढ़ाया।इन नेताओं ने अपने संविधान में ही दूसरे देशों से सहयोग का वादा किया है। हम लोगोंके हृदय को सिर्फ संस्कृति के माध्यम से ही जीत सकते हैं।"
क्यूबा के प्रतिनिधि ने क्यूबा और भारत के रिश्तों को रेखांकित करते हुए कहा " ये मेरे लिए बेहद खुशी की बात है कि हम अपनी क्रांति का 60 वां वर्ष अगली जनवरी में करने जा रहे हैं। क्रांति के कुछ ही दिनों बाद चेग्वेरा भारत आये थे भारत के साथ संबंध स्थापित करने के लिए। फिदेल कास्त्रो और नेहरू के बीच संबंधों के अगले साल भी साथ साल होने जा रहा है। क्यूबा क्रांति के पहले फ्रांस और अमेरिका का उपनिवेश रहा है लेकिन जनवरी में हम अपनी आज़ादी के साथ वर्ष पूरे कर रहे हैं। हमारे देश को भारत का तब सहयोग प्राप्त हुआ जब हम अमेरिका के हाथों प्रतिबन्ध झेल रहे थे। वियतनाम के महान नेता हो ची मिन्ह के भारत आने का भी साठवां वर्ष है। हम वियतनाम के लोग भारत के महात्मा गांधी व जवाहरलाल नेहरू को काफी याद करते हैं। वियतनाम ने सिर्फ तीन देशों को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है रूस और चीन के बाद वो देश भारत ही है। "
फ़िल्म अभिनेत्री खुशबू सुंदर ने अपने संबोधन में क्यूबा का उदाहरण देते हुए कहा " क्यूबा ने शक्तिशाली अमेरिका से टकराने का साहस किया लेकिन क्या कारण है कि हम क्यूबा के मुकाबले इतने बड़े देश होते हुए भी वो ताकत हासिल नहीं कर पाते। हमारे पास वो क्रांतिकारी विचार क्यों नहीं है?"
भारतीय शांति व एकजुटता संघ के महासचिव पल्लव सेन गुप्ता ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा " यदि वियतनाम, क्यूबा और रूस जे लोग साम्राज्यवाद का मुकाबला कर जीत सकते हैं तो फिर हमलोग क्यों नहीं ?"
सम्मेलन को रूस के चेन्नई कांसुलेट के प्रतिनिधि , इसकफ़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु दत्ता ने दिया। सम्मेलन को ने भी संबोधित किया। शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।