नई दिल्लीः स्थानीय गाँधी शांति प्रतिष्ठान में कथा-कहानी की मासिक गोष्ठी में इस बार संजीव कुमार और टेकचंद ने अपनी कहानियां पढ़ीं. इस पर आलोचकीय वक्तव्य कला समीक्षक ज्योतिष जोशी ने दिया. उन्होंने काफ्का और तोल्स्तोय के उद्धरण से अपनी बात शुरू की. उनका कहना था कि संजीव कुमार की कहानी 'घोंघा' प्रारूप और शिल्प में अच्छी और स्तब्धकारी कहानी है, इसलिए कि उसमें कहन को समकालीन किस्सागोई में ढालकर एक त्रासदी को दर्ज करने का सर्जनात्मक प्रयत्न है. एक विशेष कालखंड के ऐतिहासिक घटना क्रम को, जिसमें अपराधीकरण का एक तंत्र विकसित हो रहा था, लम्पट जितेंद्र के माध्यम से पकड़ना और पूरी व्यवस्था की संड़ाध को देखना, उसकी विरूपता और गलीजगी के साथ देखना और पूरे साहस के साथ सूत्रधार के भीरूपन में गूंथना कोई मामूली बात नहीं. एक लड़की के साथ दरिंदगी और अंत में सूत्रधार शिरीष द्वारा उसे बचा लाने के प्रयास में, उसके देह वर्णन में एक त्रासदी है, अपने भीरूपन के साथ स्त्रीजनित आकर्षण और आत्म दुत्कार की हद तक कापुरुषता.
जोशी ने दावा किया कि 'गोदान', 'मदर', 'त्यागपत्र' आदि उपन्यास प्रायश्चितबोध की ही रचनाएं हैं. 'कफ़न,' 'पत्नी', 'तीसरी कसम' तथा 'और अंत में प्रार्थना' जैसी कहानियां भी इसी कोटि में आती हैं. यह हमें जाग्रत करती हैं और अपने नागरिक धर्म की तरफ प्रेरित करती हैं. टेकचंद की कहानी 'रामा-श्यामा' इसी नाम की एक परम्परा के बहाने हिन्दू-मुस्लिम सौमंजस्य और बाद में आए तनाव की कथा है. रामचन्द और कालू खान अपने बेटों के आगे लाचार हैं जो कौमी एकता मंच और वीर सेना की गिरफ्त में आ चुके हैं. आवाम की बुनियादी समस्याएं पीछे छूट चुकी हैं. अब केवल मंदिर मस्जिद प्रधान हो गए हैं. शिक्षा, रोजगार, सुरक्षा, सेहत और मौलिक सुविधाएं अब राजनीति के लिए मुद्दा भी नहीं रहीं. चरित्र, भाषा, गठन और कहन में टेकचंद सांप्रदायिकता के साथ हमारे नागरिक धर्म का प्रश्न उठाते हैं और हमें सोए से जगाते हैं. जोशी ने कहा कि आधुनिक कहानी जहां खत्म होती है, कहानी की असल समस्या वहीं से शुरू होती है. इन रचनाओं से भी हम ऐसे भीषण प्रश्नों से दो-चार होते हैं और हमारे अस्तित्व का संकट एक मनुष्य के रूप में और गहरा हो जाता है. ये दोनों कहानियां नागरिक धर्म की याद दिलाने और समाज की अधोगति को दिखाने की कहानियां हैं. जोशी ने इन कहानियों पर अपनी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर भी साझा किया और आयोजकों को कुछ सुझाव भी दिए.