मुजफ्फरनगर: अग्रणी साहित्यिक संस्था वाणी की मासिक गोष्ठी साकेत कालोनी में पूजा गोयल के आवास पर आयोजित की गई. हाल ही में दिवंगत हुए साहित्यकार सेरा यात्री पर गोष्ठी केंद्रित रही. मुख्य वक्ता के रूप में बृजेश्वर सिंह त्यागी ने कहा कि मुजफ्फरनगर की धरती साहित्यिक रूप से बहुत उर्वरा रही हैजिसने समय समय पर बहुत से साहित्य मनीषियों को जन्म दिया है. इनमें सेरा यात्री का अलग ही स्थान है. उपन्यास होंकहानी होंव्यंग्य आदि जिस भी विधा में उन्होंने लेखनी चलाईउत्कृष्ट साहित्य का सृजन हो गया. उनका न रहना हिंदी साहित्य की अपूरणीय क्षति है. डा वीना गर्ग ने कहा कि यात्री एक तपस्वी शब्दसेवी के रूप में सृजनरत रहे. उनके उपन्यासों में ‘सुरंग के बाहर‘, ‘प्यासी नदी‘ और ‘दरारों में बंद दस्तावेज‘ आदि हिंदी कथा साहित्य की धरोहर हैं. इसी कड़ी में उनके कहानी संग्रह ‘काल विदूषक‘ और ‘दूसरे चेहरे‘ आदि भी आते हैं.

बीपी त्यागी ने सेरा यात्री के सामाजिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यात्री बड़े साहित्यकार होने के साथ मित्रों के मित्र भी थे. मुजफ्फरनगर प्रवास के दिनों में वाणी की गोष्ठियों और कंपनी बाग के प्रात: कालीन भ्रमण के समय उनका मित्रता भाव देखते ही बनता था. यही कारण था कि साहित्य जगत के साथ स्थानीय स्तर पर उनके बड़ी संख्या में मित्र थेजिनमें डा कृष्णचन्द्र गुप्तडा कमल सिंह और मोजुद्दीन बावरा जैसे उनके अनन्य मित्र बहुत याद आते हैं. सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि सेरा यात्री नए रचनाकारों को प्रोत्साहित करने और उनको लेखन की बारीकियों से परिचित कराने में हमेशा आगे रहते थे. उनका न रहना एक युग के समाप्त होने जैसा है. गोष्ठी में आदर्श कुमारविजय मणि सिंहपूजा गोयलसुनीता सोलंकी मीनासपना अग्रवालमनोज गोयलराजीव भावज्ञसुरेश कुमार गोयलअमिता सिंघलकनिकाउपलक्ष्य आदि उपस्थित रहे. गोष्ठी की अध्यक्षता बृजेश्वर सिंह त्यागी ने की. संचालन सुनील कुमार शर्मा ने किया. गोष्ठी के अंत में दो मिनट का मौन धारण कर यात्री को नमन किया गया.