मुंबईः आस्कर और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित निर्माता, गीतकार और कवि गुलज़ार साब की जानेमाने लेखक यतीन्द्र मिश्र द्वारा लिखी अधिकृत जीवनी ‘गुलज़ार सा‘ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं…‘ का लोकार्पण‘ मुंबई में हुआ. इस अवसर पर गुलज़ार के अलावा फिल्म, रंगमंच, टेलीविजन, संगीत और साहित्य की दुनिया की तमाम हस्तियां मौजूद थीं. इनमें शीन काफ निजाम, हेमा मालिनी, प्रसून जोशी, मालिनी अवस्थी, विशाल भारद्वाज, रेखा भारद्वाज, सलीम आरिफ, शैलेष लोढ़ा आदि शामिल थे. लेखक यतीन्द्र मिश्र, वाणी प्रकाशन के कर्ताधर्ता अरुण महेश्वरी और श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और अयोध्या राजघराने के मुखिया विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र भी उपस्थित थे. इस अवसर पर मंचासीन वक्ताओं ने यतीन्द्र की वर्षों के श्रम और शोध से लिखी इस पुस्तक की प्रशंसा की और गुलज़ार के जीवन कर्म को याद किया.वाणी प्रकाशन ग्रुप के 61वे वर्ष की यह पहली पुस्तक है. कार्यक्रम का संचालन रेडियो उद्घोषक यूनुस खान ने की.
हीरोइन हेमा मालिनी ने गुलजार से जुड़ी कई पुरानी बातें साझा की. हेमा मालिनी ने इस दौरान गुलजार के साथ अपनी एक्टिंग के दिनों को भी याद किया. उन्होंने 1975 में आई अपनी फिल्म ‘खुशबू‘ की भी चर्चा की और कहा कि एक जमाने में हीरोइन लंबे बाल और हाई मेकअप को लेकर ज्यादा सजग रहती थीं. अगर हमारे बाल लंबे नहीं होते थे तो हम बालों में विग लगाकर रहते थे. जब मैं गुलजार के सेट पर गई तो उन्होंने मुझे लंबे बाल रखने से मना कर दिया. गुलजार ने कहा, कोई दिखावा करने की जरूरत नहीं जैसे हो वैसे रहो. फिर मेरी मां मुझे मेकअप रूम लेकर गईं और उन्होंने मेरी साड़ी भी बदलवा दी क्योंकि वो सिंपल लग रही थीं.हेमा मालिनी ने यह भी बताया कि जब मैं कैमरे के सामने शूट करती तो मुझे बहुत तेज बोलने की आदत थी, गुलजार ये देखकर परेशान हो गए थे और उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हें कहां जाना है? मैंने कहा, मुझे अगले शूट पर जाना है. ये सुनकर गुलजार ने कहा कि शूट बाद में हो जाएगा, पहले तुम धीरे और थोड़ा क्लियर बोलो. मेरे लिए धीरे बोलना थोड़ा मुश्किल था. इसी तरह हेमा मालिनी ने डांस करने के दौरान अपने एक्सप्रेशन के बारे में भी बात की और बताया जब मैं डांस करती थी तो मेरी आंखें ऊपर चढ़ जाती थी, लेकिन गुलजार को ये पसंद नहीं आता था तो वे कई टेक लेने के लिए कहते थे