उदयपुरः राजस्थान साहित्य अकादमी और राज राजेश्वरी फाउंडेशन परमार्थिक सर्जनात्मक न्यास द्वारा आयोजित ‘सृजन संवाद’ के तहत इस बार लेखक से मिलिए कार्यक्रम में ‘कन्हैयालाल सहल पुरस्कार’ से सम्मानित साहित्यकार डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि लेखन जीवन से उपजता है. जहां जीवन गौण है वहां लेखन भी कमजोर होगा. हमारी परंपरा के सभी लेखकों का साहित्य इस बात का प्रमाण है. अग्रवाल ने कहा कि लेखक जो भी रचता है उसमें आलोचना का महत्वपूर्ण स्थान होता है. अग्रवाल ने यह भी कहा कि साहित्यकार विभिन्न विधाओं में भाषा के माध्यम से ही अपनी अभिव्यक्ति करता है. उन्होंने रचना प्रक्रिया की बारीकियों पर भी अपने विचार व्यक्त किए. याद रहे कि अग्रवाल हिंदी साहित्य के चर्चित हस्ताक्षर हैं. आलोचना पर दो चर्चित पुस्तकें ‘सृजन के परिप्रेक्ष्य’ और ‘परदेशी’ के अलावा यात्रा वृतांत ‘आंखन देखी’ भी प्रकाशित हो चुका है. बाल साहित्य और ‘राजनीतिक यथार्थ एवं राजनीतिक चेतना’ तथा ‘चेहरे और चिट्ठियां’ जैसी अनुवाद पुस्तकें भी प्रकाशित हैं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता भाषा विज्ञान के प्रोफेसर कृष्ण कुमार शर्मा ने की. मुख्य अतिथि आलोचक डॉ माधव हाड़ा और विशिष्ट अतिथि संगीतकार डॉ प्रेम भंडारी थे. राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो मलय पानेरी ने संवादकर्ता के रूप में साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर संवाद किया. इस मौके पर जगवीर सिंह, तरुण दाधीच, अशोक जैन मंथन, डॉ मंजू चतुर्वेदी आदि ने भी अपने प्रश्न पूछे. आयोजन समिति की सदस्य आराध्या चौहान ने बताया कि दो सत्र में विभाजित इस कार्यक्रम में डॉ लक्ष्मीनारायण नंदवाना, श्रीनिवास अय्यर, डॉ इंद्रप्रकाश श्रीमाली, डॉ ज्योतिपुंज, हेमेंद्र एवं प्रमिला चंडालिया, रामदयाल मेहरा, राजेश मेहता, रामदयाल मोदी, श्रेणीदान चारण, विजयलक्ष्मी देथा, संतोष दतिया, लव वर्मा आदि उपस्थित थे. अकादमी के प्रतिनिधि डॉ प्रकाश नेभनानी ने सभी का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन स्वाति शकुंत ने किया.