सुल्तानपुरः प्रेमचंद गहरी मानवतावादी दृष्टि के सम्मानित साहित्यकार थे. उनकी कहानियां और उपन्यास लोकजीवन के जीवंत दस्तावेज हैं. यह बातें चर्चित साहित्यकार सुरेश चंद्र शर्मा ने कहीं. वे रामरती नन्हकू राम वर्मा महाविद्यालय चांदपुर सैदोपट्टी फरीदीपुर में अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा आयोजित प्रेमचंद जयंती समारोह को बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे. समारोह के विशिष्ट वक्ता डा सुशील कुमार पाण्डेय साहित्येन्दु ने कहा कि प्रेमचंद ने बाल और नारी संवेदना का जो चित्रण किया है वह कहीं और नहीं दिखाई पड़ता. डा ओंकार नाथ द्विवेदी ने कहा कि प्रेमचंद ने कभी लेखन में समझौता नहीं किया. उन्होंने हिंदी कहानी के कथानक को आम लोगों से जोड़ा. चर्चित कथाकार दिनेश कुमार सिंह चित्रेश ने कहा कि यह प्रेमचंद के लेखन की ताकत है कि वे लगातार सबसे ज्यादा प्रासंगिक बने हुए हैं. राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि प्रेमचंद के बारे में अनेक तरह की अफ़वाहें और कुपाठ प्रचलित हैं. हिंदी के विद्वानों को इसे भली भांति समझना होगा. अनेक तथ्यों से आज यह प्रमाणित हो चुका है कि प्रेमचंद गरीब नहीं बल्कि अमीर साहित्यकार थे. उन्होंने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य भारतीय सनातन परम्परा का संवाहक है. वे श्रीमद्भगवद्गीता और विवेकानन्द के विचारों से प्रभावित थे. संत तुलसीदास पीजी कालेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डा करूणेश भट्ट ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने साहित्य में वंचितों की वेदना को स्वर दिया. उनका साहित्य उपेक्षितों के प्रति संवेदना की आवाज है. विशिष्ट अतिथि प्रयागराज के साहित्यकार भगवान प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य विश्वबन्धुत्व को बढ़ाने वाला साहित्य है.
संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप ने की तो संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने किया. स्वागत परिषद के कोषाध्यक्ष सर्वेश कांत शर्मा और आभार ज्ञापन जिला महासचिव डा करूणेश भट्ट ने किया. इस अवसर पर अवधी साहित्य अकादमी प्रयागराज द्वारा साहित्यकारों को सम्मान पत्र, अंगवस्त्र व पुष्पमाला देकर सम्मानित किया. इस अवसर पर जिन लोगों को सम्मानित किया गया, उनमें मुंशी प्रेमचंद स्मृति कथा सौरभ सम्मान मथुरा प्रसाद सिंह जटायु, दिनेश प्रताप सिंह चित्रेश, डा राम प्यारे प्रजापति, डा राम लखन चौरसिया वागीश, सुरेश चन्द्र शर्मा, सर्वेश कांत वर्मा सरल व अनिल कुमार वर्मा मधुर को तथा जयशंकर प्रसाद काव्य गौरव सम्मान डा आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप, डा सुशील कुमार पाण्डेय साहित्येन्दु, हनुमान प्रसाद सिंह अभिषेक, डा ओंकारनाथ द्विवेदी, डा करुणेश भट्ट, ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि, सुभाषचंद्र यादव परदेसी, पवन कुमार सिंह, केशव प्रसाद सिंह, श्रीनारायण लाल श्रीश , प्रदीप सिंह, राजबहादुर राना, सुनीता श्रीवास्तव, ब्रजेश कुमार वर्मा, अशोक आचार्य अनंत, रमेश नंदवंशी, नरेंद्र प्रसाद शुक्ल, कर्मराज शर्मा तुकांत, कांति सिंह, अजय जायसवाल अनहद, उदयराज वर्मा, दुर्गा प्रसाद निषाद, सौरभ मिश्र विनम्र, नफीसा खातून और घनश्याम वर्मा को प्रदान किया गया.