आगरा: डा भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ में ‘सृजनात्मक लेखन व आज के युवा विषय‘ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ. इसमें युवा लेखकों को सृजनात्मक लेखन के लिए प्रेरित किया गया. साथ ही नवोदित लेखक रुद्रा रघुवंशी की नई पुस्तक ‘फिफ्टी शेड्स आफ लव‘ का विमोचन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल ने किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यापीठ के निदेशक प्रो प्रदीप श्रीधर ने की. मुख्य अतिथि साहित्यकार शैलबाला अग्रवाल और विशिष्ट अतिथि डा रूचि चतुर्वेदी थीं. इसके बाद सेंट कानरेड्स इंटर कालेज की 10वीं की छात्रा रुद्रा रघुवंशी की पुस्तक का विमोचन हुआ. पुस्तक विमोचन के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल का कहना था कि सृजन प्रकृति का नियम है. नि:संदेह नई पीढ़ी की सोच स्वतंत्र है और वह नियम में नहीं बंधती और अच्छा लिखती है. वरिष्ठ साहित्यकारों को चाहिए कि वे युवा लेखकों को और बेहतर लिखने के लिए प्रेरित करें, उन्हें समझाएं कि मात्राओं और नियमों के टूटने के डर से अपनी सोच पर लगाम न लगने दें.
कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो प्रदीप श्रीधर का कहना था कि रुद्रा के दादा ने संस्थान में सालों अपनी सेवाएं दीं. उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए वह अपने परिवार की साहित्यसेवा की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं. उन्होंने छोटी उम्र में ही अपनी कविताओं के माध्यम से भावनाओं की अभिव्यक्ति का प्रयास कर सभी के मन को झकझोरा है. उन्होंने जहां मां के लिए कविता लिखी है, तो नारी सशक्तीकरण और निर्बाध रूप से स्वतंत्र सोच आदि विषयों पर हिंदी और अंग्रेजी में समान अधिकार से कविताएं लिखी हैं. उनका भविष्य उज्ववल है. डा रूचि चतुर्वेदी ने अपनी कविताओं के माध्यम से सृजनात्मक लेखन और युवाओं के अंतर्संबंधों को परिलक्षित किया. उनका कहना था कि युवा तकनीक और ऊर्जा का शानदार मिश्रण है. इसे सकारात्मक दिशा में लगाकर राष्ट्र हित के लिए अच्छा काम किया जा सकता है. युवा अपने कौशल से प्राचीन विधाओं को नई तकनीकों से जोड़कर अभूतपूर्व प्रयास कर रहे हैं. मुख्य अतिथि शैलबाला अग्रवाल का कहना था कि इतनी छोटी सी उम्र में रुद्रा ने पुस्तक लाकर मुझे मेरी याद दिला दी. मैंने उनके दादा से प्रेरित होकर साहित्य सृजन प्रारंभ किया था. युवाओं की क्षमताओं और कौशल को देख तसल्ली होती है कि हमारे देश की डोर सही हाथों में है. कार्यक्रम के संयोजक डा अमित कुमार सिंह थे. संचालन डा रमा ने किया. प्रो लवकुश मिश्रा, प्रो उमेश चंद्रा, निर्मला दीक्षित, डा जेएन टंडन, डा पार्थसारथी शर्मा, रविंद्र रघुवंशी, आशा रघुवंशी, मितेन रघुवंशी, सुखवीर कौर, जसवीर सिंह, दिगंबर सिंह धाकरे, गौरव शर्मा, बृजेश शर्मा, अंकुश गौतम, तन्मय गुप्ता, रचना गौतम, पवन गुप्ता, डा पल्लवी आर्या, डा राजेंद्र दवे, डा केशव शर्मा, डा संदीप कुमार, डा मोहिनी दयाल, डा वर्षा रानी, डा चारू अग्रवाल, कंचन कुशवाहा, डा संदीप सिंह, विशाल शर्मा मौजूद रहे.