प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मेजर ध्यानचंद छात्र गतिविधि केंद्र में राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित ‘ज्ञान पर्व‘ के तहत ‘सांस्कृतिक रिपोर्टिंग‘ विषय पर कार्यशाला और ‘हिंदी प्रकाशन में इलाहाबाद का योगदान‘ विषय पर परिचर्चा का आयोजन हुआ. इस आयोजन में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राध्यापकनगर के कई वरिष्ठ साहित्यकार और भारी संख्या में श्रोता और पाठकगण उपस्थित हुए. अकादमिक जगत और छात्रों हेतु इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित ‘ज्ञान पर्व‘ का पहला दिन युवा पाठकों और पुस्तक प्रेमियों से भरा रहा. दोपहर बारह बजे ‘सांस्कृतिक रिपोर्टिंग‘ विषय पर आयोजित कार्यशाला में 50 से अधिक विद्यार्थी जुड़े. कार्यशाला में प्रवीण शेखर ने विद्यार्थियों को ‘सांस्कृतिक रिपोर्टिंग‘ के गुर बताए. यह सत्र लगभग डेढ़ घंटे से अधिक चला. इसमें विद्यार्थियों की भागीदारी देखने लायक रही. याद रहे कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मेजर ध्यानचंद छात्र गतिविधि केंद्र के सभागार में ‘राजकमल ज्ञान पर्व‘ 21 अगस्त से 26 अगस्त तक चलेगा. इसका उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार व आलोचक प्रो राजेन्द्र कुमार ने किया. कार्यक्रम का शुभारम्भ ज्ञान की देवी मां सरस्वती की वंदना के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर हुआ.

इस अवसर पर ‘हिंदी प्रकाशन में इलाहाबाद का योगदान‘ विषय पर चर्चा आयोजित की गयी. अपने वक्तव्य में प्रो राजेन्द्र कुमार ने कहा कि इलाहाबाद शुरू से ही साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. उन्होंने कहा कि यह अवसर साहित्यसंस्कृति तथा ज्ञान का अद्भुत समागम है. उन्होंने साहित्यकारोंविद्यार्थियोंशोधार्थियों का आह्वान किया कि वे इसका पूरा-पूरा लाभ उठाएं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो प्रणय कृष्ण ने कहा कि पुस्तक संस्कृति के उत्तरोत्तर विकास के लिए विश्वविद्यालयोंमहाविद्यालयों के शिक्षकों तथा शोधार्थियों को एक साथ मिलकर संयुक्त रूप से प्रयास करना चाहिए. वरिष्ठ साहित्यकार डा कन्हैया सिंह ने कहा कि साहित्यकार अपनी रचनाओं के माध्यम से अमर रहता है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को यहां उपलब्ध ज्ञानवर्धक पुस्तकें खरीदकर ज्ञानार्जन करना चाहिए जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके. प्रख्यात गीतकार यश मालवीय ने इलाहाबाद की गौरवमयी साहित्यिक परम्परा का विस्तार से उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि राजकमल प्रकाशन समूह ने श्रेष्ठ हिंदी साहित्य के विकास हेतु साहित्यिक तथा छात्रोपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन करके हिंदी जगत को नई गति प्रदान की है. लोकभारती प्रकाशन के वयोवृद्ध संरक्षक रमेश ग्रोवर ने लोकभारती की स्थापना के 63 वर्ष पूरे होने पर इस लंबी प्रकाशन यात्रा के विषय में बताया. कार्यक्रम का संचालन सीएमपी डिग्री कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा प्रेमशंकर ने किया. धन्यवाद ज्ञापन राजकमल प्रकाशन समूह के विशेष कार्याधिकारी आमोद महेश्वरी ने किया.