नई दिल्ली: आधुनिक हिंदी के प्रमुख हस्ताक्षरों में निर्मल वर्मा की किताबें वर्ष 2005 तक राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित होती रहीं. अब 18 साल बाद 2024 में फ़रवरी से अप्रैल के दरम्यान राजकमल उनकी कुल 43 किताबें नई साज-सज्जा में प्रकाशित करने जा रहा है. अप्रैल को निर्मल वर्मा की जयंती के अवसर पर उनकी अब तक अप्रकाशित-असंकलित कहानियों का एक नवीनतम संग्रह भी लोकार्पित होगा. इस तरह कुल 44 किताबों के साथ निर्मल वर्मा पुन: राजकमल के लेखक हैं. राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने इसे एक नई शुरुआत बताया है. इस अवसर परनिर्मल वर्मा की कृतियों की स्वत्त्वाधिकारीकवयित्री-लेखिका गगन गिल ने कहा कि निर्मल जी और मेरी सभी किताबें अब राजकमल प्रकाशन में लौट रही हैं. यह क्षण घर लौटने जैसा है. हमारा पहला प्रकाशक तो राजकमल ही है. निर्मल जी 1956-57 से और मैं 1987-88 से राजकमल से जुड़ी थी. 2005 में दुर्भाग्यवश हमारा मनमुटाव हुआ और रास्ते अलग हो गए.

गगन गिल ने कहा कि हमें एकसाथ वापस आने में 18 साल लगे मगर इस अंतराल में भी हमारा पारिवारिक स्नेह बना रहा. अशोक जी ने खुले मन से हमें बार-बार बुलाया. निर्मल जी को शुरू से ही हर पीढ़ी के पाठकों ने बहुत प्यार किया है. आज नई पीढ़ीविशेषकर अंग्रेज़ीदां पीढ़ीउनके साहित्य में नये सिरे से अपने आत्म-बिंब पा रही हैखोज रही है. मुझे पूरी उम्मीद है जिस कल्पनाशील प्रस्तुति के साथ उनकी चीजें नयी पीढ़ी तक पहुंचनी चाहिएराजकमल उसमें अपनी भूमिका बख़ूबी निभाएगा. उन्होंने कहा कि 18 साल बाद वापस लौटने के इस निर्णय में शायद मेरे बौद्ध हो जाने की भी अहम भूमिका है. ‘निपट अकेले ही जाना था यदि मुझकोक्या मिला इतने मित्र-शत्रु बनाकर‘- नालंदा के आचार्य शांतिदेव ने कहा था. आज यही मेरा सच है. किसी दैवी आशीर्वाद से मेरा मन इतना उजला और शान्त है कि मैं निश्चिंत हो पा रही हूं. राजकमल प्रकाशन के सीईओ आमोद महेश्वरी ने बताया कि इस साल नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में निर्मल वर्मा की और गगन गिल की 2, मार्च में निर्मल वर्मा की 12 और गगन गिल की किताबें और अप्रैल तक दोनों की सभी किताबें बाज़ार में उपलब्ध हो जाएंगी.