रायपुर: ‘साहित्य सृजन संस्थान‘ ने काव्य संध्या और ‘साहित्य रत्न‘ एवं ‘श्रेष्ठ रचनाकार‘ सम्मान समारोह का आयोजन किया. आयोजन के मुख्य अतिथि थे प्रदीप जोशी. अध्यक्षता ‘साहित्य सृजन संस्थान‘ के अध्यक्ष वीर अजीत शर्मा ने की. विशिष्ठ अतिथि कवि प्रणय श्रीवास्तव ‘अश्क‘ थे. इस अवसर पर एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनने को मिलीं. योगेश शर्मा योगी ने सुनाया, “दूध की रखवाली पर, बिल्लियों का पहरा है. अंधेरा आंनद में है, सूरज वहीं पर ठहरा है….“, हाजी रियाज खान गौहर ने पढ़ा, “मैं समंदर हूं नदी नालों की परवाह क्यों करूं, सामने मेरी तेरी औकात क्या कुछ भी नहीं….“, डा नौशाद अहमद सिद्दीकी ने पढ़ा, “सफेद बालों की अजमत पे वार क्या करते, कि हम बुढ़ापे में नैना-विहार क्या करते…“, आशा झा ने सुनाया, “आखिर कहो क्यों चुप रहें हम, शांति के पोषक बनें हम, क्यों नहीं ढाए सितम हम, वीर हैं बुझदिल नहीं हम…” तो ममता मधु खरे ने ” प्यार जीवन का संगीत है, साथ जो भी निभाये वही मीत है. हो इजाज़त अगर आपकी तों कहूं, घर बनाना दिलों में असल जीत है… पढ़ सबका दिल जीत लिया. आलिम नकवी ने गजल पढ़ी जिसकी शायरी थी, “वक्त अपना है तो अपनी सहर ओ शाम हैं आज. फ़र्ज़ करता हूं कि आराम ही आराम हैं आज,” तो पूर्वा श्रीवास्तव ने पढ़ा, “जिसने देखा है करीब से गरीब को, उसके ऊंचे कभी अरमान नहीं होते हैं. जहां पर गूंजते हैं ठहाके बुजुर्गों के, शहर के वो मकान वीरान नहीं होते हैं.”
सम्मेलन की अगली पेशकश में सुदेश मेहर ने पढ़ा, “हम इश्क जीते हैं बिल्कुल समाधि की मानिंद, हमारे हिस्से में किरदार भी नहीं होते. तुम्हारी यादों ने मारे नहीं है बंक कोई, तुम्हारी यादों के इतवार भी नहीं होते.” विवेक भट्ट आशा परशुराम का तंज था, “कमा उसने बहुत दौलत, स्वयं को पाक कर डाला. गिरेबां में लगे थे दाग़ जितने साफ़ कर डाला..“संध्या कीर्ति कुमार जैन ने पढ़ा, “ढले जब आचरण में कविता. दीप हृदय का जल जाता है. अंधकार की गलियों में. भूला पथिक संभल जाता है…” अनिल राय ने पढ़ा, “मैं कलमकार हेतु शृंगार, तुझे गहने दिला ना पाऊंगा, पर शब्दों के आभूषण से मैं अंग-अंग तेरे सजाऊंगा…” पंखुरी मिश्रा ने सुनाया, “जिसके सपने संभाल रखता है. खुद को पिंजरे में पाल रखता है. बाप के घर को बेचने के लिए. वो ही बेटा दलाल रखता है… ‘ तो अमृतांशु शुक्ला ने पढ़ा, “मुक्कमल खयालात पैदा होने चाहिए, दिल में भी जज़्बात पैदा होने चाहिए. जब चले कलम सुखनवर की कभी. वाजिब उससे हालात पैदा होने चाहिए.” सुषमा पटेल ने सुनाया, “ओजवान दिव्य ज्ञान, शुद्ध भावना महान,ध्येय ध्यान ईश भक्ति, राम-राम नाम है…” प्रणय श्रीवास्तव अश्क ने पढ़ा, “वतन के वास्ते जिनको यहां गोरो ने दी फांसी, मैं उन जांबाज जवानों का वहीं बलिदान लिखता हूं…” सम्मेलन में जेएस उर्कुरकर, .सुषमा बग्गा, प्रदीप जोशी दीप, जितेंद्र कुमार वर्मा, वैध, राम मूरत शुक्ला, राजेश जैन राही, उमेश सोनी नयन, पल्लवी झा रुमा, रुनाली चक्रवर्ती, छबिलाल सोनी ने भी कविता पाठ किया. कवि प्रणय श्रीवास्तव ‘अश्क‘ को ‘साहित्य रत्न सम्मान‘ और रूपाली चक्रवर्ती, श्रृद्धा सुमन पाठक को ‘श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान‘ प्रदान किया गया.