नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहे जहां होभारतीय भाषाओं और संस्कृति से उनका लगाव उजागर हो ही जाता है. अभी पिछले दिनों मन की बात के दौरान भी यही दिखा. देशवासियों से अपनी इस बातचीत के दौरान उन्होंने जर्मनी की कैसमी का नाम प्रमुखता से लिया. उन्होंने कहा- “मेरे परिवारजनोभारतीय संस्कृति और भारतीय संगीत अब ग्लोबल हो चुका है. दुनियाभर के लोगों का इनसे लगाव दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है. एक प्यारी सी बिटिया द्वारा की गई एक प्रस्तुति का एक छोटा सा आडियो आपको सुनाता हूं“, कहकर उन्होंने सुरीला गीत सुना दिया और फिर कहा- “इसे सुनकर आप भी हैरान हो गए न! कितनी मधुर आवाज है और हर शब्द में जो भाव झलकते हैंईश्वर के प्रति इनका लगाव हम अनुभव कर सकते हैं. अगर मैं ये बताऊं कि ये सुरीली आवाज जर्मनी की एक बेटी की हैतो शायद आप और अधिक हैरान होंगे. इस बिटिया का नाम ‘कैसमी‘ है. 21 साल की कैसमी इन दिनों इंस्टाग्राम पर खूब छाई हुई हैं. जर्मनी की रहने वाली कैसमी कभी भारत नहीं आई हैंलेकिन वो भारतीय संगीत की दीवानी हैं.  जिसने कभी भारत को देखा तक नहींउसकी भारतीय संगीत में ये रूचिबहुत ही प्रेरणादायी है. कैसमी जन्म से ही देख नहीं पाती हैं,  लेकिनये मुश्किल चुनौती उन्हें असाधारण उपलब्धियों से रोक नहीं पाई.

संगीत और कलाओं को लेकर उनकी दीवानगी कुछ ऐसी था कि बचपन से ही उन्होंने गाना शुरू कर दिया. अफ्रीकन ड्रमिंग की शुरुआत तो उन्होंने महज साल की उम्र में ही कर दी थी. भारतीय संगीत से उनका परिचय 5-6 साल पहले ही हुआ. भारत के संगीत ने उनको इतना मोह लिया- इतना मोह लिया कि वो इसमें पूरी तरह से रम गईं. उन्होंने तबला बजाना भी सीखा है. सबसे उत्साहित करने वाली बात तो यह है कि वे कई सारी भारतीय भाषाओं में गाने में महारत हासिल कर चुकी हैं. संस्कृतहिंदीमलयालमतमिलकन्नड़ या फिर असमीबंगालीमराठीउर्दूउन्होंने इन सबमें अपने सुर साधे हैं. आप कल्पना कर सकते हैंकिसी को दूसरी अनजान भाषा की दो-तीन लाइने बोलनी पड़ जाए तो कितनी मुश्किल आती हैलेकिन कैसमी के लिए जैसे बाएं हाथ का खेल है. आप सभी के लिए मैं यहां कन्नड़ में गाए उनके एक गीत को शेयर कर रहा हूं. भारतीय संस्कृति और संगीत को लेकर जर्मनी की कैसमी के इस जुनून की मैं हृदय से सराहना करता हूं. उनका यह प्रयास हर भारतीय को अभिभूत करने वाला है. प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड की अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी और इसके जरिए दूरदराज के गांवों में रहने वाले बच्चों को स्कूल की किताबों के अलावा ‘कविताएं‘, ‘कहानियां‘ और ‘नैतिक शिक्षा‘ की किताबें मिलने का उल्लेख किया. उन्होंने शांति निकेतन को विश्व धरोहर स्थल घोषित होने पर खुशी जताई.