हाजीपुर: स्थानीय ऐतिहासिक गांधी स्मारक पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित मासान्त कवि-गोष्ठी में सामयिक कविता की रसधार बही. वरिष्ठ रंगकर्मी मनोरंजन वर्मा की अध्यक्षता तथा डॉ संजय विजित्वर के संचालन में आगत कवियों ने मर्मस्पर्शी कविताओं की प्रस्तुति की. कवि-गोष्ठी की शुरुआत प्रवीण सागर की गीतमयी रचना ‘जब बादल बन के आना, प्रेम वृष्टि बरसाना’ से हुई. इसके बाद कवयित्री साक्षी गोस्वामी ने नारी शिक्षा पर ‘मुझे सम शिक्षा दो, आरक्षण नहीं’ सुनाया तो कविता नारायण ने ‘जीवन संभव हो जिसमें वह प्रकृति नाम है नारी’ सुनाकर नारी शक्ति का बोध कराया. डॉ महेन्द्र प्रियदर्शी की कविता ‘देखा था जैसा सपना, बापू, सुभाष, तिलक महान, कहां बना उनके सपनों का…’ सुनाया.
इसके बाद सीताराम सिंह ने अपने गीत की पंक्तियां ‘दुश्मनी जब कहीं दूर जाने लगी, दोस्ती की हवा गुनगुनाने लगी’ गाकर कवि-गोष्ठी में प्रेम रस भर दिया. डॉ नंदेश्वर ने मुक्तक रचना ‘जमीन जल चुकी है, आसमान बाकी है, कुएं सूख चुके हैं, इम्तेहान बाकी है’ सुनाकर खूब वाहवाही लूटी. कवि गोष्ठी के संचालक और मासान्त कवि-गोष्ठी के संयोजक डॉ संजय विजित्वर ने गीतमयी रचना ‘सत्य अड़ा है, खड़ा है, रहेगा…सुनाकर तालियां बटोरी. शिक्षक डॉ महेश राय ने अपनी रचना से भ्रष्टाचार पर प्रहार किया. मनोरंजन वर्मा ने सुनाया ‘आओ तुम्हें तिमिर से आलोक में लेकर चलें’. अंत में सुमन कुमार ने आगत कवियों के प्रति आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर साहित्य अनुरागी गंगोत्री प्रसाद सिंह, सत्येश्वर कुमार, रोहन तथा विपिन कुमार सिंह आदि की उपस्थिति रही.