पुखरायां: स्थानीय क्रय-विक्रय प्रांगण में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 148 वीं जयंती के उपलक्ष्य में प्रज्ञा साहित्य कला मंच ने अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया. शुभारंभ शिखा मिश्रा द्वारा मां सरस्वती वंदना ‘मां शारदे वर दे, मैं तो शीश नवाने आई हूं, आशीषों से झोली भर दे मैं तो शीश नवाने आई हूं‘ से हुआ. प्रमोद पंकज ने ‘बाबा गुरुमीत ने हनी को प्रीति की ऐसी घुट्टी पिलाई मजा आ गया, अक्कड़ बक्कड़ बंबे बोल, नब्बे डीजल सौ पेट्रोल, कोरोना, कोरोना आना नहीं मेरे देश में…‘ सुनाया. शिखा मिश्रा ने ‘मैं तेरे बिन नहीं कुछ भी तू ही पहचान मेरी है, मैं इज्जत हूं तेरे घर की तुझी से शान मेरी है. ये बातों से बातें बना जो रहे हो, जरा साफ कर दो छुपा क्या रहे हो…‘ की सुंदर प्रस्तुति की. अरविंद पोटा ने ‘रो रो सूजीं अंखियां दोनों, चमड़ी सूखी गाल की, जिद पे अड़ी है पत्नी मेरी मांग करे मोबाइल की…‘ सुनाकर श्रोताओं को लोटपोट कर दिया. प्रमोद पंकज ने ‘बिना मंडप के लोकाचार हो जाए तो क्या कहना, पब्जी खेलकर सीमा अगर आए तो क्या कहना. जगी चौखट सचिन के भाग्य जागे हैं, बिना मेहनत के लड़के चार हो जाएं तो क्या कहना…‘ सुनाकर गुदगुदाया.
शिवम कुमार आजाद ने ‘मेरे देश के सरहदों का सिपाही उठा शीश दुश्मनों से ये कह रहा है, तुम्हारे वतन में लहू बह रहा है ,हमारे लहू में वतन बह रहा है…सुनाकर समा बांध दिया. कवि सम्मेलन में धर्मेश अविचल, राजकिशोर राज, प्रदीप दिहुलिया, धुंवाधार शर्मा, संजीव कुलश्रेष्ठ ने आदि ने भी अपनी सुंदर प्रस्तुति से श्रोताओं की खूब तालियां बटोरीं. संचालन अनूप सचान ने किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेंद्र प्रसाद सचान ने की. अशोक सचान, नीरज सचान, श्रवण कुमार, अनिल कुमार सचान, मुरारी लाल गोयल, बुद्ध सिंह यादव, सतनाम सिंह, अशोक मिश्रा, सर्वेश गुप्ता, विनोद सचान, केजी सचान, निर्भय यादव, संजय सचान, जितेंद्र सचान, महेश चंद्र गांधी, महेंद्र सिंह पाल, विपिन सचान, महेश चंद्र गांधी, लिंकन कटियार सहित बड़ी संख्या में क्षेत्रीय लोग मौजूद रहे. मुख्य अतिथि पूर्व विधायक विनोद कटियार, विशिष्ट अतिथि के रूप में ब्लाक प्रमुख स्वतंत्र पासवान, जिला पंचायत सदस्य संजय सचान, करुणाशंकर दिवाकर ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. आरंभ में अतिथियों की ओर से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.