नई दिल्ली: डाक्टर को हमारे समाज के लोग भगवान समझते हैं. आप अपनी इस नैतिक जिम्मेदारी को समझते हुए उसी के अनुकूल आचरण करें. आप सही अर्थ में एक सफल डाक्टर या नर्स तभी मानें जाएंगे जब आपमें पेशेवर दक्षता के साथ-साथ करुणा, दया और सहानुभूति जैसे मानवीय मूल्य विद्यमान हों. यह बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज के दीक्षांत समारोह और 107वें वार्षिक दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास को याद करते हुए कहा कि उन्होंने कहा है कि ‘परहित सरिस धरम नहिं भाई‘ जिसका अर्थ है दूसरों की भलाई के समान कोई धर्म नहीं है. आपको इसी बात को चरितार्थ करना है.
राष्ट्रपति ने कहा कि एक अच्छे स्वास्थ्यकर्मी होने के लिए एक अच्छा इंसान होना भी जरूरी है. गांधी जी ने भी कहा था कि बिना चरित्र के ज्ञान और बिना मानवता के विज्ञान पाप है. इसलिए आपका प्राथमिक ध्येय धनोपार्जन नहीं, बल्कि स्व से पहले सेवा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी भी देश की चिकित्सा सुविधाओं का स्तर, उस देश के विकास स्तर का सूचक होता है. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार आज भी भारत में प्रति व्यक्ति डाक्टर्स और नर्स की संख्या आदर्श मानकों से कम है. देश की अधिकतम आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में होने के बावजूद भी स्वास्थ्य की सुविधाएं शहरी क्षेत्रों में अधिक केंद्रित हैं. राष्ट्रपति ने लेडी हार्डिंग, सुप्रसिद्ध गांधीवादी और भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं स्वतंत्रता सेनानी डाक्टर सुशीला नय्यर और डाक्टर टी एस सुंदरम को भी याद किया.