गाजियाबाद: अखिल भारतीय साहित्य परिषद महानगर इकाई की काव्य संध्या में दो दर्जन से अधिक कवि-कवयित्रियों ने कविता पाठ कर भीषण गर्मी में शीतलता का अहसास कराया. इस काव्य-संध्या का आयोजन राजनगर एक्सटेंशन स्थित एससीसी हाइट्स हाउसिंग सोसायटी के क्लब में हुआ था. अध्यक्षता महानगर इकाई की प्रमुख एवं कवयित्री डा रमा सिंह ने किया. परिषद के मेरठ प्रांत के अध्यक्ष देवेन्द्र देव मिर्जापुरी विशेष रूप से उपस्थित रहे. परिषद के उत्तर प्रदेश के सचिव अरविन्द भाटी मुख्य अतिथि तो नगर इकाई के अध्यक्ष बीएल बत्रा ‘अमित्र’, कथाकार महेन्द्र सिंह लिखंतु और मेरठ प्रांत के महासचिव डा चेतन आनंद विशिष्ट अतिथि थे. संचालन कवि कैप्टन गोपाल गुंजन ने किया. मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पण कर गोष्ठी का शुभारंभ हुआ. गार्गी कौशिक ने सरस्वती वंदना ‘हे हंस वाहिनी मां शारदे’ प्रस्तुत किया. गरिमा आर्य ने अपनी रचना ‘खुदा की मुझ पर हुई नज़र’ से काव्य संध्या की शुरुआत की. सीमा सागर शर्मा की रचना ‘मैं मर्यादा का बंधन हूं’ को श्रोताओं की दाद मिली. डाक्टर सुरुचि सैनी ने ‘कठिन है पंथ जीवन का, अभी कुछ काम करने हैं’ गीत से सभी को मंत्रमुग्ध किया. कमलेश संजीदा ने समसामयिक विषयों पर अपनी रचनाओं की प्रस्तुति से सभी को आकर्षित किया. गार्गी कौशिक ने आज के चुनावी माहौल के मद्देनजर अपनी व्यंग्यात्मक रचना ‘समाज के ठेकेदारों को है मेरा नमस्कार’ सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया.
डा तूलिका सेठ ने अपनी गजल ‘जो देते रहे हर घड़ी बद्दुआ, पूछते हैं वही क्या हुआ क्या हुआ’ सुनाई, तो अजीत श्रीवास्तव ‘नवीन’ ने ‘कैसे इंसा हो तुम कमाल करते हो, हर उलझे मुद्दे पर सवाल करते हो’ सुनाकर वाहवाही लूटी. बीएल बत्रा ने भक्तिमय रचना ‘श्याम के दीवाने हैं’ सुनाई. कैप्टन गोपाल गुंजन ने ‘समझो मल्लाह के भरोसे ये नाव चल रही है’ सुनाई, तो महेंद्र सिंह लिखंतु ने कार्यक्रम की खूब प्रशंसा की. देवेन्द्र देव मिर्जापुरी ने ‘धरती के आंचल में जिसने भरे हैं रंग..’ और ‘भाव जब भावना को सताने लगे’ सरीखी रचनाओं से श्रोताओं का मन मोहा. अरविंद भाटी ने ‘भूखी प्यार दुलार की होती हैं बेटियां’ से श्रोताओं को भावुक कर दिया. डा चेतन आनंद ‘किसकी खुलेगी पोल, किसका बजेगा ढोल कौन होगा डांवाडोल अबके चुनाव में’ और ‘कउओं के ज़माने हैं कुछ तो बात तो होगी ही, हंसां पे निशाने हैं कुछ बात तो होगी ही’ जैसी रचनाएं सुनाईं. रमा सिंह ने ‘न पत्थर ही हुए हम मोम भी होना नहीं आता, ये हमको क्या हुआ है क्यों हमें रोना नहीं आता’ सरीखी कई रचनाओं से कार्यक्रम को एक अलग ऊंचाई प्रदान की. कार्यक्रम में पूजा सक्सेना, एससीसी हाइट्स के पदाधिकारी और निवासी भी श्रोता के रूप में उपस्थित थे