जोधपुर: “कला और साहित्य अभिव्यक्ति के रचनात्मक स्वरूप हैं और मनुष्य सदैव इन्हें अधिक से अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रयत्नशील रहा है. मनुष्य ने हमेशा अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए नए तरीके खोजे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब उन्हें ऐसा करने में और अधिक सक्षम बना रहा है.” यह कहना है इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर का. वे कथा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय कथा अलंकरण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे. न्यायमूर्ति माथुर ने कहा कि एआई निश्चित रूप से नैसर्गिक रचनात्मक प्रतिभा पर विपरीत प्रभाव डालेगी. इसका स्वाभाविक परिणाम कला और साहित्य के स्तर का ह्रास होगा. यह चिंता स्वाभाविक अवश्य है, परन्तु इतनी गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि विज्ञान समाज के विकास में सबसे बड़ा उत्प्रेरक रहा है. विज्ञान ही है जो प्रकृति की जटिलता को खोलकर जीवन को सरल बनाता है. विज्ञान और तकनीकी के इस विकास को रोका नहीं जा सकता है. हमें ही अपने आप को विकास के साथ-साथ आगे बढ़ना होगा. हमें यह सोचना होगा कि विज्ञान की इस महान खोज को किस तरह हम रचनात्मक उपकरण के रूप में अपनाते हैं. हमें अपनी कलात्मक पहचान और भावनात्मक अनुवाद को संरक्षित करते हुए एआई के लाभों का दोहन करने के तरीके खोजने होंगे. हम जितना शीघ्र अपने आपको इस नयी तकनीकी के अनुकूल ढाल लें उतना ही अच्छा है, क्योंकि आज के समय में साहित्यकारों, पत्रकारों और अन्य सभी रचनात्मक लोगों को मानव-जाति के हित में बहुत प्रगतिशील और प्रासंगिक भूमिका का वहन करना है.
समारोह के अध्यक्षता कर रहे कथाकार एवं शायर हबीब कैफी ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में पुरस्कारों को लेकर विवाद हो सकता है, होते भी रहे हैं. लेकिन सम्मान को लेकर कहीं भी कोई विवाद की सूरत नहीं बनती. इस दृष्टि से देखा जाए तो कथा संस्थान जोधपुर द्वारा प्रदत्त सम्मानों की अपनी एक गरिमा बनी रही है और निश्चित रूप से यह खोज-खोज कर हकदारों को सम्मानित करने की स्वस्थ परंपरा है. समारोह के विशिष्ट अतिथि जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति प्रो केएल श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी साहित्य में रचनात्मक लेखन अब राजस्थान में शिफ्ट होता जा रहा है. यहां के साहित्यकार न केवल पूरे भारत में अपनी पहचान स्थापित कर रहे हैं, अपितु विश्व स्तर पर अपनी रचनात्मकता की छाप छोड़ रहे हैं. उन्होंने कथा संस्थान के संस्थापक सचिव साहित्यकार मीठेश निर्मोही को बधाई देते हुए कहा कि जो कार्य शैक्षणिक संस्थान नहीं कर पा रहे हैं ऐसे कार्य कथा संस्थान बहुत अच्छे ढंग से कर रहा है. इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रवासी भारतीय साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा ने भी विचार रखे. समारोह में अतिथियों ने अलंकृत होने वाली विभूतियों को माल्यार्पण कर शाल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र के साथ साहित्य भेंट कर सम्मानित किया.