नई दिल्ली: “प्राचीन काल से अब तक पुस्तकों का महत्त्व कम नहीं हुआ है. हम कितनी भी तकनीकी प्रगति कर लें लेकिन मुद्रित पुस्तकों का महत्त्व हमेशा बना रहेगा. मुद्रित पुस्तकें हमारे संस्कार और चरित्र निर्माण में सहायक तो होती ही हैं. वह हमारे अंदर सकारात्मक निर्णय लेने की क्षमता भी विकसित करती हैं.” यह बात साहित्य अकादेमी के पुस्तक मेले ‘पुस्तकायन‘ के द्वितीय संस्करण का उद्घाटन करते हुए भारत के संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कही. अकादेमी परिसर में मेले का शुभारंभ करते हुए मेघवाल ने कहा कि पुस्तकों के प्रेम के कारण ही बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर देश के लिए एक ऐसा संविधान बना पाए जो स्वतंत्रता से पहले समानता की बात करता है. उन्होंने साहित्य अकादेमी पुस्तकालय में बच्चों के लिए नवनिर्मित चिल्ड्रन्स कार्नर का भी उद्घाटन किया. साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि साहित्य अकादेमी भारतीय भाषाओं का सबसे बड़ा प्रकाशनगृह है, जो भारतीय साहित्य के एकात्म को प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा कि ज्ञान आधारित समाज ही सर्वश्रेष्ठ होता है और उसका निर्माण पुस्तकों के सहारे ही संभव है. आज हम पाषाण युग से अंतरिक्ष तक किताबों के कारण ही पहुंच पाए हैं. उन्होंने अच्छे पाठक को भविष्य का लेखक मानते हुए कहा कि हमें नई पीढ़ी को पढ़ने के आनंद से परिचित कराना होगा तभी वे बेहतर भविष्य के लिए तैयार हो सकेंगे. साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा की उपस्थित थीं.
आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पिछले वर्ष आयोजित पुस्तकायन की सफलता को देखते हुए इस मेले के दूसरे संस्करण का आयोजन किया गया है. उन्होंने साहित्य अकादेमी पुस्तकालय में नवनिर्मित चिल्ड्रन्स कार्नर के बारे में बताया कि विशेष तौर पर बच्चों के लिए बनाया गया यह कार्नर उन्हें अपने बाल परिवेश में पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करेगा. आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर मेले का शुभारंभ किया. इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव उमा नंदूरी, निदेशक प्रियंका चंद्रा तथा अनीश पी राजन भी उपस्थित थे. उद्घाटन समारोह के बाद सीसीआरटी से आए कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. इस कार्यक्रम में दिल्ली के कई विद्यालयों के छात्रों ने बड़ी संख्या में भाग लिया. कई लेखक, विद्वान और सुधी पाठकों ने पुस्तक मेले में पधारकर, पुस्तकें खरीद कर प्रकाशकों का हौसला बढ़ाया. ज्ञात हो कि यह पुस्तक मेला साहित्य अकादेमी परिसर में 9 दिसंबर तक प्रतिदिन पूर्वाह्न 10 बजे से सायं 8 बजे तक खुला रहेगा. इस बार पुस्तक मेले में 40 से अधिक महत्त्वपूर्ण प्रकाशक शामिल हो रहे हैं. ‘पुस्तकायन‘ पुस्तक मेले में अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों के साथ ही कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे. नौ दिनों तक चलने वाले इस पुस्तक मेले में विभिन्न भारतीय भाषाओं के लगभग 50 लेखक और कलाकार शामिल हो रहे हैं. मेले के दौरान आयोजित साहित्यिक कार्यक्रमों में मुशायरा, कवि सम्मिलन, युवा साहिती, बहुभाषी रचना-पाठ, पैनल चर्चा एवं अपने प्रिय साहित्यकार से मिलिए जैसे अनेक कार्यक्रम रखे गए हैं. मेले में बच्चों के लिए भी कार्टून कार्यशाला एवं उनके प्रिय बाल लेखकों से मिलने के कार्यक्रम रखे गए हैं. कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र के सहयोग से की जा रही हैं. पुस्तक मेले के दौरान शामिल होने वाले कुछ मुख्य लेखक हैं – ममता कालिया, अनामिका, बलदेव सिंह, चंद्रभान ख़याल, ख़ालिद जावेद, प्रकाश मनु, बुद्धिनाथ मिश्र, ज्ञानप्रकाश विवेक, ख़ालिद महमूद, महुआ माजी, माधव जोशी, इरशाद खान सिकंदर आदि.