उज्जैन: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत और जिला प्रशासन के सहयोग से दशहरा मैदान में उज्जैन राष्ट्रीय पुस्तक मेले की शुरुआत की गई. इस मेले में देश के जाने-माने 32 प्रकाशकों सहित कुल 50 से अधिक प्रकाशकों ने अपने स्टॉल लगाए. राष्ट्रीय पुस्तक मेले का उद्घाटन उच्च शिक्षा मंत्री डा मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, राष्ट्रीय पुस्तक मेला न्यास के मिलिंद सुधाकर मराठे, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी के निदेशक अशोक कड़ेल और नगर निगम सभापति कलावती यादव की उपस्थिति में हुआ. इस अवसर पर मंत्री डा यादव ने कहा जब भी ज्ञान की बात होगी, तब उज्जयिनी के गुरु सांदीपनि आश्रम की याद आएगी. डा यादव ने कहा उज्जैन की पहचान भगवान महाकाल, मोक्षदायिनी शिप्रा से है, परंतु ज्ञान, विज्ञान, पुरुषार्थ, संस्कृति की शिक्षा स्थली श्री गुरु सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण, भाई बलराम एवं सखा सुदामा के साथ शिक्षा ग्रहण से भी उज्जयिनी पहचानी जाती है.
इस अवसर पर भाजपा नेता विवेक जोशी, रूप पमनानी, साहित्यकार प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा, संजय अग्रवाल, परेश कुलकर्णी सहित अन्य गणमान्य नागरिक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे. पुस्तक मेला 6 सितंबर तक सुबह 11 से रात 8 बजे तक खुला रहेगा. मेले में 50 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं. पुस्तक मेले साहित्यिक कार्यक्रमों की शृंखला में पहले दिन भारतीय ज्ञान प्रणाली और पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित परिसंवाद हुआ. इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो पांडेय ने की. सत्र का संयोजन प्रो जगदीशचंद्र शर्मा ने किया. आभार प्रो शर्मा ने माना. वहीं प्रथम सांस्कृतिक संध्या पर सुंदरलाल मालवीय और उनके समूह द्वारा कबीरपंथी एवं लोक गीतों की प्रस्तुति की गई. इसके अलावा डा तृप्ति नागर के निर्देशन में लोक नृत्य एवं गीतों की प्रस्तुति हुई. पुस्तक मेले में 2 से 4 सितंबर तक प्रतिदिन शाम 6 बजे से मालवा के लोकनाट्य माच का प्रदर्शन किया जाएगा. समारोह में माच के 3 पारंपरिक घराने शिरकत करेंगे. गुरु सिद्धेश्वर सेन द्वारा लिखित माच राजा हरीशचंद्र की प्रस्तुति बाबूलाल देवड़ा एवं हफीज खान के संचालन में हुई. विश्व हिंदी अकादमी मुंबई और मालवा रंगमंच समिति के सहयोग से विशेष परिसंवाद हुआ. संस्थाध्यक्ष केशव राय के मुताबिक प्रदीप शर्मा ने भारतीय काव्य में रहस्यवाद विषय पर विचार व्यक्त किया.