सोनभद्र: मित्र मंच फाउंडेशन की तरफ से अजीम शायर मिर्जा गालिब की 227वीं जयंती के उपलक्ष्य में जिला मुख्यालय पर 22वें मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस आयोजन में नामचीन शायरों, कवियों और कवयित्री ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी. वहीं, श्रोताओं को भी सर्द रात में कहकहों और कशिश की तपिश आधी रात के बाद तक, रचनाओं की गर्मी से सरोबार किए रही. साहित्यकार डा लवकुश प्रजापति, मित्र मंच के संरक्षक दया सिंह, उमेश जालान ने गालिब की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. मित्र मंच के अध्यक्ष विकास वर्मा ‘बाबा’, कोषाध्यक्ष राम प्रसाद यादव, संरक्षक दया सिंह, सदस्य विनोद कुमार चौबे, फरीद अहमद, इकराम खां आदि ने शायरों-कवियों का माल्यार्पण कर स्मृति चिह्न भेंट किया. मनोज मधुर ने सरस्वती वंदना से प्रस्तुति की शुरुआत की. अफजल इलाहाबादी ने ग़ा़िलब की एक गजल पढ़कर सिलसिले को आगे बढ़ाया. लवकुश प्रजापति ने ‘रीत गये सब प्रेम रीत, रसहीन हुई है रसना. फिर भी ढूंढ रहा मैं तेरी आंखों में मीरा का सपना..’ से जहां वाहवाही लूटी, वहीं विकास वर्मा ने ‘कौन किस हद तलक क्या सोचेगा, इसका तो कोई दायरा ही नहीं…’ से महफिल को ऊंचाई दी.

संचालक हसन सोनभद्री ने ‘सबने पूछा बोलो कुछ लाए कि नहीं. बस मां ने पूछा था कुछ खाए कि नहीं..’ के जरिए मातृप्रेम का बोध कराया. पंडित प्रेम बरेलवी ने ‘जनाब ज़िंदे क्या मुर्दे भी बोल उठते हैं’ से जिंदादिली बयां की. अफजल इलाहाबादी ने ‘मेरी तामीर मुकम्मल नहीं होने पाती, कोई बुनियाद हिलाता है चला जाता है..’ से तालियां बटोरी. सुहेल आतिर ने ‘कुछ वार ही तलवार के बेकार गये हैं, ये किसने कहा तुझसे के हम हार गये हैं..’ सुनाया तो मनोज मधुर ने ‘प्यार की रस्म निभाना हमें आता ही नहीं, रूठना और मनाना हमें आता ही नहीं..’ के जरिए श्रोताओं को प्रेम रस चखाया. कमल नयन त्रिपाठी ने ‘मुझको क़ातिल कहा गया इसी सुबूत पर, आधा लहू बदन में था बाकी खुतूत पर…’ सुनाया तो डा मनमोहन मिश्र ने ‘जो मेरे गीतों का इक-इक पेज है, दर्द का मेरे वो दस्तावेज़ है…’ सुनाकर महफिल लूटी. प्रतिभा यादव ने ‘पलकों पे कोई ख्वाब सजाकर तो देखिए, दिल में किसी का प्यार बसाकर तो देखिए..’ आदि के जरिए ऐसा समां बांधा कि रात के ढाई कब बज गए, पता ही नहीं चला. इस दौरान राधेश्याम बंका, संदीप चौरसिया, अमित वर्मा, श्याम राय, नंदलाल केशरी, डा गोविंद यादव, धर्मराज जैन, नंदकिशोर विश्वकर्मा, राजेश सोनी, आशीष अग्रवाल आदि विशेष रूप से सक्रिय रहे.