मधुबनी: मिथिला-मैथिली और मिथिला राज्य निर्माण आंदोलन के वरिष्ठ सेनानीअंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद के पूर्व अध्यक्षमिथिला राज्य संघर्ष समिति के पूर्व अध्यक्ष व साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रखर साहित्यकार जयनगर निवासी कमलकांत झा के निधन से साहित्य जगत में शोक छा गया. झा बाल स्वयंसेवक थे. वे वर्षों तक जिला कार्यवाहक रहे. वे 81 वर्ष के थे. उन्होंने 1962 में लेखन कार्य प्रारंभ किया. 1965 में जयनगर कालेज में मैथिली के प्राध्यापक और प्रोफेसर भी बने. 2003 में सेवानिवृत्त हुए. इन्होंने मैथिली के संग हिंदी में भी लगभग 25 पुस्तकें लिखीं. उनके निधन से मैथिली साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्हें वर्ष 2020 में मैथिली भाषा में प्रकाशित कहानी संग्रह ‘गाछ रूसल अछि‘ के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. आप द्वारा सृजित विधाओं में नाटकनिबंध और कहानी संग्रह सभी शामिल है.

याद रहे कि कमलकांत झा मैथिली लोकोक्तिउद्भव व विकास पुस्तक की रचना कर खासे चर्चित हुए थे. मैथिली भाषा आंदोलन में वे शुरू से ही सक्रिय रहे. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार-प्रसार के लिए जहां भी गए वहां मैथिली भाषा का भी प्रचार-प्रसार किया. उनके निधन पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त उदयचंद्र झा विनोदअक्षय आनंद सन्नीदिलीप कुमार झाऋषि बशिष्ठसोनू कुमार झाप्रजापति ठाकुरप्रीतम निषादअर्जुन कविराजडा भीमनाथ झा,  अमरनाथ झाराजेश झागंगाप्रसाद यादवडा आभा झापंकज झाउगन कुमार दासमहेश्वर साहमहेश्वर सहनीबीरेंद्र झायतींद्र दासराजकुमार पोद्दार सहित अन्य ने शोक जताया. मिथिला लोकतांत्रिक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज झाडा इंद्रमोहन झालंबोदर झा आदि ने शोक प्रकट किया है.