शिमला: हिमाचल प्रदेश के भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय बाल साहित्य उत्सव के समापन समारोह की मुख्य अतिथि एसजेवीएन की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक गीता कपूर थीं. बाल साहित्य उत्सव के तीसरे और अंतिम दिन चार सत्र आयोजित किए गए. प्रथम सत्र में लेखिका मीनाक्षी चौधरी तथा सहयोगी लेखक गौरी, अथर्व तथा शिरीष द्वारा लिखित उपन्यास ‘लास्ट इन एप्पल‘, ‘कंट्री द फेटल अराइवल‘, ‘द डेडली किटी‘ पुस्तकों की समीक्षा की गई. इस सत्र में प्रोफेसर नीलिमा कंवर ने सूत्रधार की भूमिका निभाई. सत्र में उपस्थित विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने खुले मंच के तहत पुस्तक लेखन से संबंधित प्रश्न पूछे. छात्रों ने यह भी जानना चाहा कि लेखन की शुरुआत कैसे की जाए? मीनाक्षी चौधरी ने छात्रों को लेखन की बारीकियां समझाईं. द्वितीय सत्र में लेखक आदित्यकांत की पुस्तक ‘हाई आन कसोल‘ पर छात्र दीप्ति सूद, शरीन तथा दीया चंदेल ने अपनी प्रतिक्रिया दी. इन्होंने लेखक से प्रश्न भी पूछे. इस सत्र में सूत्रधार की भूमिका अभिषेक प्रिंस ने निभाई.
त्रि-दिवसीय बाल साहित्य महोत्सव के आखिरी दिन तीसरे सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बाल साहित्य और ‘द गीता फार चिल्ड्रन‘ और ‘द योग सूत्र‘ की सुप्रसिद्ध लेखिका रूपा पाई की गंभीर चर्चा हुई. उन्होंने इन पुस्तकों के अलावा अपने द्वारा लिखी 20 से भी अधिक पुस्तकों की लेखन प्रक्रिया पर युवा छात्र-छात्राओं से अपने अनुभव साझा किए तथा युवाओं को लेखन के लिए प्रोत्साहित किया. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के सांध्य महाविद्यालय की प्रिंसिपल प्रोफेसर मीनाक्षी एफ पाल ने रूपा पाई से साक्षात्कार किया और लेखन संबंधी विविध पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की. चौथे सत्र में लेखक अंशित भारद्वाज तथा शगुन रनौत द्वारा लिखित पुस्तकों के बारे में डाक्टर डेजी वर्मा ने चर्चा की. मुख्य अतिथि गीता कपूर ने बाल साहित्य उत्सव के सफल आयोजन के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग की सराहना की तथा कहा कि मोबाइल और सोशल मीडिया के इस दौर में युवा पीढ़ी को एक नई दिशा की ओर मोड़ने की यह पहल बहुत सराहनीय है. अंत में त्रि-दिवसीय उत्सव के दौरान आयोजित भाषण प्रतियोगिता, नारा लेखन, पोस्टर मेकिंग, शब्दावली कौशल के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए.