मसूरीः “हिंदी भाषा जीवंत है और विश्व परिप्रेक्ष्य में इसको इसका उचित स्थान दिलाने के प्रति हमारी सरकार वचनबद्ध है. आज हिंदी में लिखी गई मूल रचनाएं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत रही हैं. अब तकनीकी विषयों की पाठ्य-सामग्री भी हिंदी में आसानी से उपलब्ध है. वास्तव में यह हिंदी का अमृतकाल है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैं इस दौर का हिस्सा हूं.” यह बात केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पाण्डेय ने भारी उद्योग मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की उत्तराखंड के मसूरी में संपन्न हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में हिंदी विश्व फलक पर स्थापित हो गई है. वे विश्वमंच पर अपनी बात हिंदी में ही रखते हैं. इससे विश्व स्तर पर हिंदी का प्रचार-प्रसार हुआ है और अब सरकारी कामकाज में हिंदी का उपयोग लगातार बढ़ रहा है. खासकर पिछले नौ वर्षों में केंद्र सरकार के कार्यालयों में हर स्तर पर हिंदी का काम जितना बढ़ा है, उतना पहले कभी नहीं रहा. इस वर्ष सिविल सेवा में हिंदी माध्यम से रिकार्ड संख्या में परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए. हिंदी ने यह स्थान किसी भाषा की उपेक्षा किए बिना व अन्य भाषा को साथ लेकर अपनी सक्षमता के बूते बनाया है. यह इसलिए संभव हुआ है कि हिंदी एक भाषा के रूप में लचीली रही है और बहुत ही आसानी से अन्य भाषाओं को अपने में समाहित कर लेती है.
डॉ पाण्डेय ने कहा कि मंत्रालय में मुझे प्रस्तुत की जा रही सभी फाइलें हिंदी में ही होती हैं. स्वयं मैं भी उनपर हिंदी में ही टिप्पणी करता हूं. तकनीक ने हिंदी में काम करना आसान बना दिया है. आज ऐप और योजनाओं के नामकरण भी इस प्रकार किए जा रहे हैं, जिनके संक्षिप्त रूप से हिंदी और संस्कृत के शब्दों को बढ़ावा मिले. मंत्रालय के सचिव कामरान रिजवी ने कहा कि हिंदी इतनी क्लिष्ट न हो कि आमजन उसे समझ न सकें. उन्होंने कहा कि सरकारी हिंदी आसान हो तो हिंदी का चलन और अधिक बढ़ सकता है. बैठक में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल), सीसीआई (सीमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया), ईपीआईएल (इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड), एचएसएल (हिंदुस्तान सॉल्ट लिमिटेड) और राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंट्स लिमिटेड (रील) जयपुर जैसे उपक्रमों ने बताया कि कैसे उनके यहां कामकाज में हिंदी का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है. बड़े अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों के बीच भी हिंदी में ही संवाद होता है. फाइल से लेकर पत्राचार का माध्यम भी हिंदी भाषा ही होती है. हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कर्मचारियों व अधिकारियों को प्रोत्साहित किया जाता है. बैठक में संयुक्त सचिव डॉ हनीफ कुरैशी और विजय मित्तल सहित अन्य अधिकारियों व गणमान्य लोगों ने भाग लिया.