मुंबईः “भारत संस्कृति का केंद्र है, संस्कृति का स्पंदन है. हमारे पास 5000 वर्षों से भी अधिक पुरानी सभ्यता है. जी 20 के दौरान, एक पृथ्वी, एक ग्रह, एक परिवार-वसुधैव कुटुंबकम को विश्व ने देखा लेकिन, ऐसे महापुरुषों के कारण ही हम इसे कायम रख पा रहे हैं.” यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुंबई में श्रीमद राजचंद्रजी की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘आत्मकल्याण दिवस’ समारोह में कही. उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज का दिन बहुत खास है, श्रीमद राजचंद्र जी की जयंती है, कार्तिक पूर्णिमा है और अभी बताया गया कि प्रकाश पर्व भी है. तीनों का सम्मिलन हमारी सांस्कृतिक गहराई को दर्शाता है. पर मैं आपसे एक बात कहता हूं कि पिछली शताब्दी के महापुरुष महात्मा गांधी थे, इस सदी के युग पुरुष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं. महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्याग्रह से हमें अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाई, प्रधानमंत्री ने देश को उस मुकाम पर ला दिया था, जहां उसे हम सदा देखना चाहते थे. इन दोनों महानुभावों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और हमारे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के संबंध में एक बात समान है कि दोनों ही श्रीमद राजचंद्रजी को प्रतिबिंबित करते हैं. आपको इतिहास में कभी ऐसी कोई समानता नहीं मिलेगी कि जब विश्व स्तर पर सराहे गए  दो महापुरुषों ने राजचंद्र के मूल्य, महत्वपूर्ण भूमिका और प्रेरक शक्ति को समझा हो.

धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिनके बारे में आइंस्टीन ने कहा था कि आने वाली पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करना बहुत मुश्किल होगा कि ऐसा एक आदमी कभी इस पृथ्वी पर आया था. महात्मा गांधी ने राजचंद्र के बारे में कहा कि उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया, अध्यात्म जो अब मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, ने मुझे एक कार्यात्मक दृष्टिकोण दिया. आज के दिन भारत की दुनिया में जो पहचान है वो किसी और देश की पहचान नहीं है, वह हमारे सांस्कृतिक विरासत के कारण है. उन्होंने कहा कि मित्र! आध्यात्मिकता हमेशा हमारे रीढ़ की ताकत रहेगी. जिन लोगों को हमारी युवा पीढ़ी पूजती है, मैं स्टीव जॉब्स या उन जैसे सभी में से किसी की बात कर रहा हूं. वे शांति की तलाश में इस भूमि पर आए थे, इस भूमि पर आने के बाद ही उन्होंने वैश्विक ऊंचाइयों को प्राप्त किया. मुझे यह देखकर बहुत खुशी की अनुभूति हो रही है कि यहां हर व्यक्ति को आज किस प्रकार आनंद मिल रहा है. यह कोई सामान्य सराहना नहीं है. यह हृदय और मस्तिष्क से अपने आप निकाल रही है.  आज के दिन दुनिया कहां जा रही है पूरी दुनिया चिंतित है. हम वही तीन काम कर रहे हैं जो राजचंद्र जी कहते थे, मत करो. यह ग्रह केवल मनुष्य के लिए नहीं है यह ग्रह हर जीवित प्राणी के लिए है. आज हर आदमी परेशान है, व्यथित है, तनाव में है, अंतहीन भौतिकता की तलाश में है, भौतिकवाद अपने आप में बुरा नहीं है, अगर व्यक्ति भौतिकवाद में नहीं पड़ेगा, तो बुनियादी ढांचे का विकास भी नहीं होगा. लेकिन जीवन में भौतिकता और आध्यात्मिकता दोनों का संतुलन होना चाहिए.