भोपाल: “भारतीय समाज में स्थापित मान्यता एवं परंपरा वैज्ञानिक दृष्टिकोण केंद्रित एवं जीवनोपयोगी है. भारतीय समाज का चिंतन एवं दृष्टिकोण तकनीक आधारित रहा है. हमारी परंपराओं एवं मान्यताओं में संरक्षण का भाव है, जिन्हें युगानुकुल पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है.” यह बात मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने उच्च शिक्षा विभाग की ‘भारतीय ज्ञान परम्परा शीर्ष समिति‘ की बैठक को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में स्थित पुस्तकालयों को भारतीय ज्ञान परम्परा की पुस्तकों से समृद्ध किया जाएगा. मंत्री परमार मंत्रालय में रहे थे. बैठक में भारतीय ज्ञान परम्परा के विविध संदर्भों में आगामी कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा की गई. मंत्री परमार ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसरण में भारतीय ज्ञान परम्परा के समावेश के लिए विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा. इसमें विषय के जानकारों की सार्थक सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी.
मंत्री परमार ने आगामी कार्यशालाओं में शीर्ष समिति के सदस्यों को जुड़कर सार्थक सहभागिता करने को भी कहा. उन्होंने कहा कि कार्यशालाओं में विषयविद पूर्णरूपेण उपस्थित रहें ताकि पुस्तक लेखन के लिए समय से साहित्य सामग्री संकलन हो सके. प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए भारतीय ज्ञान परम्परा आधारित आनलाइन प्रश्न-मंच जैसी प्रतियोगिता आयोजित की जाएं. ज्ञातव्य है कि प्रदेश के 27 विश्वविद्यालयों में 20 जून से 31 जुलाई तक भारतीय ज्ञान परम्परा के विविध संदर्भों में कार्यशालाओं का आयोजन होगा. प्रदेश के 10 संभागों के महाविद्यालयों और राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा में अगस्त एवं सितंबर माह में कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा. बैठक में मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा आयुक्त निशांत वरबड़े, भारतीय ज्ञान परम्परा शीर्ष समिति के उपाध्यक्ष अतुल कोठारी, हिंदी ग्रंथ अकादमी के निदेशक तथा समिति सदस्य अशोक कड़ेल एवं महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के कुलपति रमेशचंद्र भारद्वाज सहित समिति के सदस्य विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलगुरु उपस्थित रहे.