लखीसराय: फूल तोड़ो पत्थर तोड़ो कांवर सजा लो चलो देवघर की ओर… यह कविता पंक्तियां भगवान राय की हैं, जिसे उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा शहर के प्रभात चौक स्थित होटल भारती के सभागार में आयोजित मासिक कवि गोष्ठी के दौरान पढ़ीं. शिक्षक व कवि अरविंद कुमार भारती ने ‘भ्रष्टाचार कल था, आज शिष्टाचार है, व्यभिचार था कल आज सदव्यवहार‘ है से देश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर प्रहार किया. कवि रोहित कुमार ने ‘नव मानव का निर्माण कर, प्रकृति का सम्मान कर‘ कविता पढ़ी, तो जीवन पासवान ने पढ़ा, ‘जो नेता दल बदल बदल कर बनाते रहे सरकार, वही नेता आज बन गए समूह के नीतिकार.‘
धनेश्वर पंडित ने ‘देश की शान तिरंगा‘ पर गीत गाये तो भोला पंडित ने ‘गोरी के भींगल बदनवा, राजकुमार ने जो कविता पढ़ी, वह थी ‘निशि की तम में छल छल छलकी जल, धरती को कर गई सजल‘. कवि देवेंद्र आजाद ने मणिपुर घटना पर व्यंग्य बाण चलाया. राजेश्वर प्रसाद सिंह की कविता ‘कोई जगह नहीं जो कोई है सुरक्षित‘ पढ़ा. सुमंत पाण्डेय ने अपनी कविता में ‘मैं मणिपुर बोल रहा हूं और कब बोलोगे आग लग चुकी है‘ तो सिराज कादरी ने ‘हर मर्ज का इलाज है वहम छोड़कर, हर शख्स लाजवाब है अहम छोड़कर‘ पढ़ा. धन्यवाद ज्ञापन जिला संगठन मंत्री अरविंद कुमार भारती ने किया. इस अवसर पर नवल कंठ पत्रिका के प्रकाशन पर भी चर्चा की गई. कवि गोष्ठी की अध्यक्षता राजेश्वरी प्रसाद सिंह एवं संचालन देवेंद्र आजाद ने किया.