नई दिल्ली: प्रगति मैदान में लगे नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला में परिचर्चा की भरमार है. हर स्टाल पर हर दिन कई-कई कार्यक्रम हो रहे. लेखक मंच तो है ही. वाणी साहित्य घर में ऐसे ही एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह-कार्यवाहक डा मनमोहन वैद्य ने अपनी पुस्तक में ‘We’ का अर्थ ‘भारत’ बताया. उन्होंने कहा कि भारत की परम्परा में सभी के विचारों को सुना जाता है. भारत सदियों से एक रहा है. भारत के हर नागरिक के सहयोग से इसका विकास होगा. संघ के भविष्य पर वैद्य ने कहा कि संघ भारतीय संस्कृति के प्रति सदैव समर्पित रहा है. इसलिए आज युवा संघ से जुड़ने की इच्छा रखता है. अखंड भारत के प्रश्न पर कहा कि यह ‘जियो पालिटिक्स’ का विषय नहीं है यह ‘जियो कल्चर’ से जुड़ा है. वाणी प्रकाशन के ‘वाणी साहित्य घर’ में ‘मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है’, ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: एक अध्ययन व चैट जीटीपी: एक अध्ययन’, ‘रेत में आकृतियां’, डा मनमोहन वैद्य के ‘We and The World Around’, चिन्मयी त्रिपाठी की ‘अपनी कही’, वीरेन्द्र सारंग की किताब ‘कथा का पृष्ठ’ और रजत रानी मीनू की संपादित ‘दलित स्त्री केन्द्रित कहानियाँ’, प्रो श्योराज सिंह बेचैन की किताब ‘ज़िंदगी को ढूंढ़ते हुए’ जितेन्द्र श्रीवास्तव की ‘काल मृग की पीठ पर’, बलबीर माधोपुरी की अनूदित ‘मेरी चुनिन्दा कविताएं व मिट्टी बोल पड़ी’ आदि पर चर्चा हुई.

लेखक मंच पर जहां पुणे पुस्तक महोत्सव, महाराष्ट्र, जागतिक पुस्तक महोत्सव और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में डा श्यामा घोणसे की पुस्तक ‘क्रांतदर्शी महात्मा बसवेश्वर’ और वर्षा परगट की पुस्तक ‘श्री कृष्ण’ का विमोचन भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े, महाराष्ट्र सरकार के वन, सांस्कृतिक मामलों और मत्स्य पालन के कैबिनेट मंत्री सुधीर सच्चिदानंद मुनगंटीवार, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे एवं निदेशक युवराज मलिक द्वारा किया गया, वहीं राजकमल प्रकाशन समूह के ‘जलसाघर’ में शहादत के कहानी संग्रह ‘कर्फ़्यू की रात’; मृणाल पांडे की किताब ‘हिन्दी पत्रकारिता: एक यात्रा’ और सुजाता पारमिता की किताब ‘मानसे की जात’ का लोकार्पण हुआ. वहीं हेमन्त देवलेकर के कविता संग्रह ‘हमारी उम्र का कपास’; महेश कटारे के उपन्यास ‘भवभूति कथा’ और शिवानी सिब्बल के उपन्यास ‘सियासत’ पर बातचीत हुई. जलसाघर में ही एस इरफ़ान हबीब द्वारा सम्पादित किताब ‘भारतीय राष्ट्रवाद: एक अनिवार्य पाठ’ पर परिचर्चा के अलावा मोहनदास नैमिशराय की किताब ‘क्रांतिकारी ज्योतिराव फुले’ और एकता सिंह की किताब ‘तलाश खुद की’ का लोकार्पण हुआ. उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल की उपन्यासों और वरिष्ठ कथाकार नासिरा शर्मा की किताबों पर भी बातचीत हुई, जिसे पाठकों ने बहुत रुचि से लेखकों को सुना और उनके साथ संवाद किया.