नई दिल्ली: एक आवाज जो घर-घर में रेडियो की पहचान सी बन गई थी, अब नहीं रही. अमीन सयानी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित देश के हर क्षेत्र से जुड़े लोगों ने शोक जताया है. 91 साल की उम्र में अमीन का निधन हुआ. प्रधानमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा कि रेडियो पर अमीन सयानी की मखमली आवाज में एक आकर्षण और गर्मजोशी थी जिसने उन्हें पीढ़ियों से परे लोगों को अपना बना लिया. अपने काम के जरिए, उन्होंने भारतीय प्रसारण में क्रांति लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने श्रोताओं के साथ बहुत ही मधुर संबंध स्थापित किया. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिवार, प्रशंसकों और सभी रेडियो प्रेमियों के प्रति संवेदना. उनकी आत्मा को शांति मिले. याद रहे कि अमीन सयानी ने अपने रेडियो शो ‘गीतमाला‘ से लोगों को दीवाना बना लिया था. 1952 से 1994 तक इस रेडियो शो का टेलिकास्ट हुआ था. इस शो ने अमीन को घर-घर में पहचान दिलाई थी.
अमीन सयानी पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. वह कुछ चीजें भी भूलने लगे थे. एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि मैं अपनी आत्मकथा लिखना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि अपनी ज़िंदगी की तमाम खास बातों को एक किताब के रूप में दुनिया के सामने रखूं जिससे आने वाली पीढ़ियां भी जान सकें कि मैंने किन किन संघर्ष और किन किन विकट परिस्थितियों के बावजूद भी कैसे सफलता पाई. मैं समझता हूं इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी और लोग मुझे भी याद रखेंगे. अमीन उम्र के साथ छूटती जा रही अपनी याददाश्त और आवाज के जाने से भी दुखी थे. उन्होंने उसी साक्षात्कार में कहा था कि अब मेरे गले में भी खराश रहने लगी है. जिससे मुझे रिकार्डिंग करने में भी दिक्कत होती है. साथ ही दुख यह है कि मैं अब अपनी बहुत सी बातों को भूलने लगा हूं. इसलिए अब मैं इसी काम में लगा हूं. सब कुछ भूल जाऊं, उससे पहले वह किताब लिख लूं. बस मन में यह डर रहता है कि मेरा यह आखिरी सपना पूरा हो पाएगा या नहीं. वह सपना वाकई अधूरा सा रह गया. उसे शायद दूसरे लोग और उनके चाहने वाले लिखें. अमीन का परिवार स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा था. वह केवल 7 बरस के ही थे जब अपने भाई ब्राडकास्टर हामिद सयानी के साथ आल इंडिया रेडियो में पहली बार रेडियो प्रसारण को देखा था. यह और बात है कि कुछ बरस बाद ही वह खुद आवाज की दुनिया के सरताज बन गए.