नई दिल्ली: दुनियाभर के प्रकाशकों की नजर भारत के बाजार पर है. इसका प्रमाण नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में देखा जा सकता है जहां दुनियाभर के प्रकाशन उद्योग के निदेशक, सीईओ, पुस्तक मेलों के आयोजक और अन्य उच्च पदाधिकारी शिरकत कर रहे हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के त्रिभाषी सूत्र का भारत के प्रकाशन उद्योग पर सकारात्मक असर भी यहां दिख रहा है. विश्व पुस्तक मेले में यों तो दिनभर पुस्तक विमोचन और चर्चा का कार्यक्रम चल रहा है लेकिन लेखक मंच का आकर्षण अलग है. ‘भारतीय नारी स्थिति और गति’ पुस्तक का विमोचन एवं चर्चा सत्र का आयोजन किया गया. सत्र की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने भारतीय दर्शन में स्त्री और पुरुष के सामंजस्य भाव और परिवार को परिभाषित करते हुए बताया कि देश के विकास में स्त्री और पुरुष दोनों का अहम योगदान है. भारत के दर्शन में स्त्री और पुरुष का जो भाव बताया गया है वह परिवार के साथ है. स्त्री और पुरुष दोनों से ही समाज के विकास में योगदान मिल सकता है.

मराठे ने कहा कि कुछ परिस्थितियों के कारण महिलाओं को असमानता का सामना करना पड़ता है. पुरुषों का कर्तव्य है कि वे देश के विकास में महिलाओं को साथ लेकर चले. भारतीय दर्शन में मूल इकाई एकल न होकर परिवार की है, जिसमें आपके माता-पिता, भाई-बहन, दादी-दादा, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और आसपास की प्रगति समाहित होती है. इस सत्र की मुख्य अतिथि और पंजाब सरकार की प्रमुख सचिव राखी गुप्ता भंडारी ने अपने एसडीएम से डिप्टी कमिश्नर बनने के सफर और प्रशासन में अपने अनुभव पर बात की. उन्होंने कहा कि नारी शक्ति बहुत ऊर्जावान है. वह हर काम को आसान बनाकर संभव कर सकती है. महिलाओं को पुरुषों के साथ आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. महिलाएं नंबर एक पर, पुरुष नंबर एक पर के स्थान पर हमें 1 और 1 को 11 करना होगा तभी समाज के विकास के लिए कार्य को उचित दिशा मिलेगी. इस अवसर पर प्रोफेसर नरेंद्र मिश्र, रासबिहारी, प्रोफेसर नीलम राठी, डा शम्भू नाथ मिश्र, लिली मित्रा और डा सांत्वना श्रीकांत ने भी अपने विचार रखे.