नई दिल्ली: राष्ट्रीय नाट्य समारोह के टाउन हाल में रंग संस्था पटना की प्रस्तुति के रूप में रणधीर कुमार निर्देशित नाटक ‘आधी रोटी पूरा चांद‘ का मंचन हुआ. इस नाटक के माध्यम से अमृता प्रीतम के जीवन से जुड़े प्रसंग और उनके जीवन चरित्र में छुपी एक स्त्री को प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में दिखाने की कोशिश की गई. नाटक के माध्यम से यह जानकारी देने की एक कोशिश थी कि वे सिर्फ पंजाबी कवयित्री, लेखिका या साहिर लुधियानवी की प्रेमिका भर नहीं थीं. बल्कि अमृता प्रीतम संपूर्ण स्त्री के चरित्र में लिपटी कोमल और भावुक महिला थीं. इस नाटक में अमृता के बचपन से लेकर बंटवारे, साहित्य से प्रेम, शादी और बाद में विवाह के जीवन को स्वीकार न कर लेखिका के मार्ग को वह किस प्रकार से चुनती है, इसे प्रसंगों के जरिए बताया गया.
इस नाटक को देखने के लिए बड़ी संख्या में इलाके और पटना शहर के कला, रंगमंच और साहित्य प्रेमी भी शामिल हुए. इस नाटक में अमृता प्रीतम की 6 किताबें ‘रसीदी टिकट‘, ‘मैं तुमसे फिर मिलूंगी‘, ‘दस्तावेज‘, ‘अमृता इमरोज‘, ‘खतों का सफरनामा‘ और अमृता प्रीतम की प्रतिनिधि कविताएं से अंश लेकर उनके जीवन के असली रंग, संघर्ष, संवेदना, प्रेम और एक बेबाक, जुझारू स्त्री के रूप में उनके किरदार को तराश कर नाटक के रूप में रंगमंच पर पेश किया था. केवल इतना ही नहीं, अमृता के व्यक्तित्व के निर्माण में वारिस शाह की कविताओं की भूमिका और कलाम को ध्यान में रखते हुए इसे बैकग्राउंड म्यूजिक के तौर पर इसे विशेष रूप से शामिल किया गया था.