देवास: ‘क‘ अभियान में कहानी का मतलब कहानी में रुचि रखने वालों के लिए लिखने, पढ़ने और गुनने का ककहरा सीखने की कोशिश. देवास में यह पहली ही कोशिश इतनी सार्थक हुई कि इसे आगे माण्डू, खजुराहो और अमरकंटक में करने का निर्णय हुआ. इतना ही नहीं इस आयोजन में प्रतिभागियों के कहानी संग्रह को लाने की घोषणा भी हुई. इस आयोजन में शामिल 30 प्रतिभागियों ने इस दौरान विविध ज्ञानपरक गतिविधियों में भाग लिया. इस दौरान कहानी पाठ के अलावा गोर्की, तोलस्ताय, कोंस्तान्तिन फेदिन, चेखव, ज्ञान रंजन, स्वंय प्रकाश, विनोद शाही, शशिभूषण मिश्र आदि के कथा केंद्रित शानदार लेखों के 70 पेज की पाठ्य-सामग्री के साथ सवाल-जवाब, जिज्ञासा पूर्ति आदि के सहारे कहानी को न सिर्फ़ जाना बल्कि अपने भीतर उसे रचाने-बसाने की तैयारी भी हुई. वरिष्ठ कथाकार राजेन्द्र दानी, प्रकाश कान्त, ब्रजेश कानूनगो तथा आशुतोष ने कहानी के रचाव, गठन, ट्रीटमेंट, इनफोकस-आउटफ़ोकस, ड्राफ़्ट आदि पर बात की, तो कठिन दिखने वाली रचना प्रक्रिया सरलतम होती गई. अपनी पसंदीदा कहानी से अपनी पहचान देने और ग्रुप में कहानी रचे जाने की अनूठी गतिविधियों से बात और ज़्यादा साफ़ होती गई. इस दौरान कई सवाल पूछे गए, जमकर बहस हुई. जिज्ञासा उभरी.
कार्यक्रम का आरंभ श्रोताओं से खचाखच भरे सभागार में राजेन्द्र दानी और आशुतोष का कथा-पाठ हुआ. कहानी ‘हक़ीक़त या फ़साना‘ पर आशुतोष ने बड़े रोचक अंदाज़ में बात रखी. मनीष शर्मा ने प्रभावी संचालन किया. सुनील चतुर्वेदी, ओपी पाराशर, संदीप भटनागर, संजय उपाध्याय, अनूप दुबे तथा अंकुर दुबे ने स्वागत किया. यशोधरा भटनागर ने स्वागत भाषण दिया और रश्मि शर्मा ने आभार माना. प्रतिभागियों की ओर से सोनल तथा अमेय कान्त ने अपनी बात रखी. स्नेहा ने लाइव किया. भोपाल से वसंत सकरगाए, मप्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पलाश सुरजन, उज्जैन से हरिशंकर वट, इंदौर से किसलय पंचोली, कविता वर्मा, निरुपमा वर्मा सिन्हा, चक्रपाणि दत्त मिश्रा, डा अंजना मिश्रा, प्रो गीता शर्मा, शीरीन भावसार, दीप्ति गुप्ता, प्रो बरखा श्रीवास्तव तथा रजनी गोधने सहित बड़ी संख्या में देवास के साहित्यप्रेमी मौजूद थे.