लखनऊ: गोमती किनारे उत्तर प्रदेश में पुस्तकों का सबसे बड़ा महोत्सव लखनऊवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा.. नौ दिवसीय इस महोत्सव में देश-विदेश के प्रख्यात साहित्यकारों का जमावड़ा लगा. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित इस मेले में देश-विदेश के 300 से अधिक प्रकाशकों की पुस्तकों से सजे 100 से अधिक बुक स्टाल लगे. इसके अलावा यहां एनबीटी, प्रकाशन विभाग, अमर चित्रकथा, रूपा, हार्पर कालिन्स, मैकमिलन, मंजुल, वितास्ता, आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस जैसे प्रकाशकों की बेस्ट सेलर्स के साथ-साथ बुकर अवार्ड के लिए नामित पुस्तकें भी प्रदर्शित हुईं. मेले के जनसंपर्क प्रमुख अमित सिंह के मुताबिक ‘सभी के लिए पुस्तकें‘ थीम के अंतर्गत दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए ब्रेल पुस्तकों के मुफ्त वितरण की व्यवस्था यूआईडी प्रस्तुत करने पर की गई थी.
एनबीटी ने बच्चों के लिए विशेष रचनात्मक कार्यशालाओं का आयोजन किया, जिनके आकर्षण केंद्र ‘कहानी सुनो, कहानी बुनो‘ जैसे कार्यक्रम थे. इस दौरान जेनअल्फा से लेकर जेनजी तक के युवा पाठकों की अभिरुचि को ध्यान रखा गया. इस दौरान अखबार बनाने, समाचार लिखने की कला से लेकर पुस्तक बनाने की कला सिखाई गई. पुस्तक मेले में महिला एवं युवा साहित्यकारों को विशेष रूप से स्थान दिया गया. इस कड़ी ‘अनब्रोकन द ब्रसल्स टेरर अटैक सर्वाइवर‘ की लेखिका निधि चापेकर की प्रेरक यात्रा से लेकर सती, द्रोपदी, अहिल्या जैसे पौराणिक पात्रों पर लिखने वाली लेखिका कोरल दास गुप्ता, रचना छाबड़िया, निलोत्पल मृणाल, कल्पेश रत्ना, रवि भट्ट, प्रसून रॉय, संदीप दत्त, संजीव पालीवाल, आशुतोष शुक्ल, राजेश व्यास एवं केविन मिसल अंतर अत्रेय जैसे लेखकों को जोड़ा गया. नौ दिवसीय इस पुस्तक महोत्सव में रीडिंग टी के साथ-साथ सांस्कृतिक और म्यूजिकल कार्यक्रम ने भी गोमती तट की ओर लोगों को आकर्षित किया. यूनिवर्सल बुक स्टोर के को-फाउंडर और गोमती पुस्तक महोत्सव के आयोजन समिति के मनोनीत सदस्य चंद्र प्रकाश ने एनबीटी के प्रयासों की सराहना करते हुए लखनऊ के नागरिकों की भागीदारी के लिए उनका आभार प्रकट किया. यह पुस्तक मेला 9 से 17 दिसंबर तक सुबह 11 से रात 8 बजे तक चला. इस अवसर पर बसों के विशेष रूट भी बनाए गए थे.