नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी द्वारा ‘साहित्य मंच’ के अंतर्गत हिंदी कहानी-पाठ का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता रूपसिंह चंदेल ने की और जयप्रकाश कर्दम, प्रज्ञा एवं शहादत ने अपनी-अपनी कहानियों का पाठ किया. सर्वप्रथम युवा कहानीकार शहादत ने अपनी कहानी ‘आखिरी स्टेशन’ का पाठ किया. यह कहानी दंगों के बीच खोती मानवता और राजनीति के बिगड़ते हालातों पर केंद्रित थी. प्रज्ञा की कहानी का शीर्षक ‘बुरा आदमी’ था. इस कहानी के जरिए उन्होंने किसी के भी अंतर्मन में उठती कालिमा को प्रतीकात्मक रूप में बहुत ही सहजता से प्रस्तुत किया. कहानी का नायक कैसे एक कम उम्र लड़की की रक्षा करते हुए अपने को संतुलित रखता है, यह इस कहानी में बखूबी दर्शाया गया था. लेखक जयप्रकाश कर्दम ने ‘नो बार’ शीर्षक से अपनी कहानी प्रस्तुत कीं, जिसमें आज के युवा जाति से परे समाज की कल्पना तो करते हैं, लेकिन उनके माता-पिता उस पर विराम लगा देते हैं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कथाकार रूपसिंह चंदेल ने पढ़ी गई कहानियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज अभी पूरी तरह बदला नहीं है और नई पीढ़ी को और अधिक हिम्मत से आगे बढ़कर समाज की एकरूपता के लिए काम करना होगा. रूपसिंह चंदेल ने अपनी कहानी ‘बेटू’ का पाठ किया जिसमें एक दादा का नवजात पोते से प्रेम तो था ही बल्कि नई पीढ़ी को उससे होने वाली परेशानी का भी जिक्र था. कार्यक्रम में कई महत्त्वपूर्ण लेखक और पत्रकार उपस्थित थे, जिनमें मोहनदास नैमिषराय, बलराम अग्रवाल, सुभाष नीरव, हरियश राय, हरिसुमन बिष्ट, वैद्यनाथ झा, कमलेश जैन, राजेंद्र प्रसाद मिश्र आदि उल्लेखनीय हैं. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा लेखक और साहित्य प्रेमी उपस्थित थे.