नई दिल्ली: राजकमल प्रकाशन कुछ चर्चित पुस्तकों की पायरेसी से जूझ रहा है. इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि‘, अरुंधति राय की ‘मामूली चीजों का देवता‘, विश्व प्रसिद्ध उपन्यास ‘सोफी का संसार‘ के बाद अब रवीश कुमार की किताब ‘बोलना ही है‘ की पायरेटेड प्रतियों की बिक्री पर समूह ने नाराजगी जताई है. राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा है किपायरेसी प्रकाशन जगत के लिए एक बड़ी चुनौती है. पायरेसी से न केवल हमारी साहित्यिक धरोहर को नुकसान होता है, बल्कि रचनाकार और प्रकाशक को भी नुकसान उठाना पड़ता है. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. महेश्वरी के मुताबिक राजकमल प्रकाशन ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है.
महेश्वरी ने कहा है कि हम अपने लेखकों की बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम अपने पाठकों और शुभचिंतकों से अनुरोध करते हैं कि वे अनधिकृत प्रतियों की खरीददारी से बचें, क्योंकि ऐसा करना न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि यह हमारे साहित्यिक समाज के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है. हम पुस्तक विक्रेताओं से भी अनुरोध करते हैं कि वे पायरेटेड प्रतियों की बिक्री और वितरण न करें. अमेजन पर पायरेटेड प्रति की बिक्री करने वाले विक्रेताओं को हमने प्रतिबंधित करा दिया है. इस तरह के मामले में पहले भी आए थे. हमारी कुछ क्लासिक कृतियों की भी पायरेटेड कापियां छापेमारी में पकड़े जाने पर कड़ी कार्यवाही की गई थी. अपनी किताबों की पायरेसी रोकने के लिए हम कानूनी सहायता से सख्त कदम उठा रहे हैं.