वाराणसी: बनारस रेल इंजन कारखाना स्थित सूर्य सरोवर परिसर में जश्न-ए-आजादी के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ. इस सम्मेलन में जिन कवियों ने हिस्सा लियाउनमें विकास पाण्डेय विदीप्तभुलक्कड़ बनारसीसिद्धनाथ शर्मा सिद्धडा नसीमा निशाडा छोटेलाल सिंह मनमीतअखलाक खान ‘भारतीय‘, आलोक सिंह बेताबकरुणा सिंहओमप्रकाश चंचलचेतना तिवारीझरना मुखर्जी आदि शामिल थे. विकास पाण्डेय विदीप्त ने ‘हमारे देश भारत का सतत हर पल अमृतमय हो. हमारी मातृ-भूमि की सर्वदा सर्वत्र जय-जय हो‘ पढ़ातो हास्य व्यंग्य के कवि भुलक्कड़ बनारसी ने अपनी रचना ‘एक पत्रकार ने मुझसे कहा कि कवि जीसम्मान वापसी पे अपनी राय दीजिए. मैं बोला अब तक जो सम्मान वापस हुएमेरे घर भेज के विवाद खत्म कीजिए…‘ लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया. सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध ने ‘तिरंगा भारत की पहचानतिरंगा भारत मां की शानइसे कभी झुकने नहीं देंगेदे देंगे हम जान… गीत पढ़ कर राष्ट्र भक्ति की भावना जगाई. डा नसीमा निशा ने सुनाया, ‘आड़ मजहब की न लेकर के लड़ाया जायेमुल्क में अमन का माहौल बनाया जाये. मुल्क को सोने की ही चिड़िया कहा जाये फिरइस तरह मिलके मुहब्बत से सजाया जाय…

डा छोटेलाल सिंह मनमीत ने अपनी रचना ‘तार-तार अपनी मर्यादा कभी नहीं होने देंगेप्रिय भारत है प्राण हमारा इसे नहीं खोने देंगे पढ़ा. मधुलिका राय ‘मल्लिका‘ का गीत था, ‘ये भारत देवभूमि हैजिसकी शान गंगा है. अमन से है धरा सिंचितगगन छूता तिंरगा है…‘ पढ़कर खूब तालियां बटोरी. झरना मुखर्जी ने ‘हमारे देश की मिट्टी समझ लो माथ का चंदनसमर में वीर हैं जाते प्रथम कर इसको ही बंदन. जवां को प्राण की चिंता नहीं है देश के आगेमिटाने चल दिया है वो सुनो मां धरती का क्रंदन‘ सुनाया तो परमहंस तिवारी ‘परम‘ ने व्यंग्य रचना ‘रेट टमाटर क हो गइल बा हाई पियाबजट में न आयी पिया ना…‘ सुनाया. आलोक सिंह बेताब ने ‘कहां हो तुम जीवन मेरा खाली है. तेरे बिन जीवन एक सूखी डाली है…सुनाया. संचालक अखलाक खान ‘भारतीय‘ ने अपनी रचना ‘वन्दे मातरम गीत लिखेगी जन गण मन का गान लिखेगीअपना तिरंगा गर्वित लिखकर भारत का सम्मान लिखेगी. इस माटी में बलिदानों के सभी कथानक लिख सकती हैसजग लेखनी राष्ट्र प्रेम के सारे मानक लिख सकती है…‘ सुनायातो करुणा सिंह ने ‘देश की खातिर कुछ कर जाना है‘ और ओमप्रकाश चंचल ने ‘लहू की ताकत हम सबसे कहती बस यही कहानी है…‘ सुनाकर श्रोताओं का दिल जीता.