नई दिल्ली: स्थानीय काका कालेलकर एवं विष्णु प्रभाकर स्मृति संस्थान ने ‘सन्निधि संगोष्ठी‘ के तहत व्यंग्य पाठ का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय के अलावा राजेश कुमार, लालित्य ललित, रणविजय राव आदि ने हिस्सा लिया. अध्यक्षता आचार्य राजेश कुमार ने की. इस अवसर पर लालित्य ललित के व्यंग्य संग्रह ‘पांडेय जी के किस्से‘ और व्यंग्य संग्रह ‘राजेश कुमार के चुने हुए व्यंग्य‘ का लोकार्पण भी हुआ. श्रीलंका से आमंत्रित रचनाकार सुगंधि भी मौजूद थीं. सुगंधि ने भगवान बुद्ध पर केंद्रित अपनी एक कविता का अनूदित पाठ भी किया. समारोह में उपस्थित युवा रचनाकारों में अंजू खरबंदा, राजीव तनेजा, कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, डाक्टर पूरन सिंह, विनोद ढींगरा के अलावा काफी लोग उपस्थित थे, जिनकी गिनती से लगा कि साहित्य के प्रति पाठकों का अनुराग कम नहीं हुआ है.
इस मौके पर मुख्य अतिथि प्रेम जनमेजय ने कहा कि व्यंग्यकारों का धर्म होना चाहिए कि वे वंचितों पर व्यंग्य न करें, अपितु समकालीन विसंगतियों को दिमाग में याद रखें और उसका प्रतिकार करें. लालित्य ललित ने अपनी रचना से पहले विष्णु प्रभाकर के संदर्भ में अनेक संस्मरण साझा किए. विष्णु प्रभाकर के पुत्र अतुल प्रभाकर ने भी अपनी व्यंग्य रचना का पाठ किया. आचार्य राजेश कुमार ने कहा कि यहां आ कर बेहद खुशी हुई कि नए रचनाकारों ने वरिष्ठ लेखकों के समक्ष अपनी रचनाओं को सुनाया. यह व्यंग्य रचना की ताकत है कि वे न केवल मनोयोग से सुनी गईं, बल्कि उस पर पर्याप्त सुझाव भी आए. कुमार ने अपने चर्चित पात्र महाकवि पर केंद्रित व्यंग्य रचना सुनाई. इस संगोष्ठी की खास बात यह थी कि आमंत्रित रचनाकारों के अलावा अन्य रचनाकारों ने भी मंचस्थ विद्वानों के सम्मुख अपनी रचनाओं का पाठ किया.