कोलकाता: साहित्योत्सव लिटरेरिया के तीसरे दिन की शुरुआत नीलांबर की टीम द्वारा मुक्तिबोध, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और उदय प्रकाश की कविताओं के गायन से हुई. इस दिन कहानी पाठ के सत्र में चर्चित कथाकार पंकज मित्र ने अपनी कहानी ‘बेचूलाल का भूत उर्फ बेलाकाभू‘ का पाठ किया. सत्र का संचालन विनोद कुमार ने किया. इस दिन संवाद सत्र में ‘जाने भी दो यारों: सिनेमा में व्यंग्य‘ विषय पर फिल्म निर्देशक प्रमोद सिंह ने सिनेमा में निहित कामेडी को व्यंग्य की तरह समझने की अपील की. फिल्म निर्देशक एवं कवि अविनाश दास ने कहा कि सबसे अच्छी एक्टिंग वही है, जो एक्टिंग नहीं है. आलोचक एवं इतिहासकार हितेन्द्र पटेल ने कहा कि सिनेमा में कैसे व्यंग्य के माध्यम से विचार लाया जाय यह महत्त्वपूर्ण प्रश्न है. उन्होंने कि व्यंग्य के नाम पर सस्ते मनोरंजन की मांग मीडिल क्लास की मांग है, सामाजिक मांग नहीं. कवि आशुतोष दुबे ने कहा कि सिनेमा में व्यंग्य के बहाने हम जब पात्रों पर हंसते हैं तो वह यह बताता है कि कोई समाज कितना सभ्य है. इस सत्र का संचालन सत्य व्यास ने किया.
इस दिन कविता पाठ सत्र में उदय प्रकाश, आशुतोष दुबे, फरीद खां, झिलम त्रिवेदी, विहाग वैभव और वसु-गंधर्व उपस्थित थे. इस सत्र का संचालन आनंद गुप्ता ने किया. अनुभवी गायक अजय राय की काव्य- संगीत की प्रस्तुति ने सभागार को संगीतमय बना दिया. इस दिन ‘विवेचना रंग मंडल‘ द्वारा अरुण पाण्डेय के निर्देशन में ‘निठल्ले की डायरी‘ नाटक का मंचन किया गया. नीलांबर के वार्षिक सम्मान-सत्र में विनय शर्मा को ‘रवि दवे सम्मान‘ से सम्मानित किया गया. उन्हें यह सम्मान उदय प्रकाश के हाथों प्रदान किया गया. इस वर्ष अजय राय को ‘निनाद सम्मान‘ से सम्मानित किया गया. उन्हें यह सम्मान गौतम दत्ता ने प्रदान किया. सम्मान सत्र का संचालन चयनिका दत्ता गुप्ता ने किया. धन्यवाद ज्ञापन पूनम सिंह ने किया. विभिन्न सांस्कृतिक सत्रों का संचालन पूनम सोनछात्रा, अनिला राखेचा एवं आकांक्षा आदित्य ने किया. तीन दिवसीय इस साहित्योत्सव में कोलकाता एवं इसके आसपास के अंचल के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से आए साहित्य-प्रेमी शामिल थे. आयोजन में रज़ा न्यास ने सहयोग किया.