आजमगढ़: स्थानीय खजुरी अहरौला बाज़ार में राष्ट्रभाषा एवं लोकोत्थान समिति ने एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया. कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ व्यंग्यकार राजाराम सिंह ने की. दीप प्रज्वलन तथा मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन से सम्मेलन की शुरुआत हुई. पहली प्रस्तुति 5 वर्षीय बाल कलाकार वांग्मय ‘वसु’ सहाय की थी, जिन्होंने नवरात्रि के अवसर पर महिसासुर मर्दिनी भाव नृत्य से सभी का मन मोह लिया. फिर वर्षा श्रीवास्तव ने वाणी वन्दना ‘नमामि मातु शारदे’ से कार्यक्रम को एक विधिवत शुरुआत दे दी. तत्पश्चात मखमली नंद किशोर ‘बेचैन’ ने सुनाया, “आदमी सहमा हुआ बैठा है अपने आप में जाने फिर तूफान का रुख, कब किधर हो जाएगा…” राजेंद्र त्रिपाठी ‘राहगीर’ ने सुनाया “उजियारा पाख लिए हर कोई अंदर है, मुख में सुकरात यहां पेट में सिकंदर है…” आर्य हरीश कोशलपुरी ने पढ़ा, “अब ना परिवर्तनों की पहल चाहिए, एक गिरते हुए को संबल चाहिए. रोजी-रोटी के संकट बढ़े जा रहे, आज जनता को स्थाई हल चाहिए.” हास्य कवि डंडा बनारसी ने लोगों को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया, तो मऊ के गीतकार डा कमलेश राय ने भोजपुरी रचना सुनाई, “ओकरे सपनो में न आवै लड्डू मोतीचूर कै, ऊ धरती कै धूर बोहरै लइका हवे मजूर कै.”

हास्य कवि दिनेश सिंह गुक्कज ने पढ़ा, “पत्नी ने पूछा जी ये विश्वासघात कैसा होता है, मैंने कहा जो तेरे बाप ने मेरे साथ किया बस वैसा ही होता है.” हेमंत त्रिपाठी ने ‘मन को मत मुरझाने देना’ शीर्षक से गीत सुनाया तो अरविंद पथिक ने जनवादी छंद सुनाए. गीतकार विजयेंद्र प्रताप ‘करुण’ ने बसंत का मनोहारी वर्णन किया. कवयित्री वर्षा श्रीवास्तव के गीत के बोल थे, “तुम बिन कितना सूना सूना था मेरा जीवन एक तुम्हारे आ जाने से छम छम नाचे मन.” संचालक डा बजरंग श्री सहाय ‘रवि’ ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया. उनका एक दोहा था, “मृग ने भटके सिंह को दिया कुंज में ठांव, उजड़ गया अगले दिवस कस्तूरी का गांव.” भालचंद त्रिपाठी ने गीत सुनाया तो साहित्य भूषण राजाराम सिंह ने अपने चुटीले व्यंग्य से सामाजिक व्यवस्था पर करारा प्रहार किया. कवि हंसमुख आर्यावर्ती ने सुनाया, “हमारे गम का ये ग्लेशियर है जो कतरा कतरा पिघल रहा है, नई सदी के ही जैसे हंसमुख मिजाज अपना बदल रहा है.” डा अंकुर सहाय ‘अंकुर’ ने अपने अनूठे अंदाज में सुनाया “फेंट कर फिर से ताश बैठे हैं हम तेरे आस पास बैठे हैं. तू नज़र से पिला दे अच्छा है, ले कर खाली गिलास बैठे हैं.” देर रात तक चले कवि सम्मेलन में राजेश श्रीवास्तव, जयप्रकाश लाल, मुख्य आयोजक एडवोकेट सौरभ सहाय, राहुल, रामबरन मौर्य, रणविजय मिश्र, डा सुमन वागर्थ सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे. पूरा पांडाल श्रोताओं से भरा रहा. अंत में अंकुर सहाय ने धन्यवाद ज्ञापित किया.